तखतपुर (बृजपाल & ललित)
नारायण नारायण…
“अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला.., जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा…”
यह शेर आज के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर एकदम सटीक बैठ रहा है। कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही दलों में टिकट की मचमच मची हुई है… कोई किसी से कम नहीं है.. टिकट की चल रही फुगड़ी प्रतियोगिता में हर कोई लगभग कूद ही पड़ा है।
स्थानीय चैनलों सोशल मीडिया में तो दोनों ही दलों से संभावितों की नई-नई सूची रोज निकल रही है। जिस वजह से पार्टियों के छोटे कार्यकर्ता और आमजन के दिमाग का रोज दही कांदा हो रहा है… वही नेता भी रोज-रोज के नए-नए मिल रहे टेंशन से हाई कमान तक की दौड़ लगाकर उन्हें भी हलाकान कर रहे हैं…. जुबानी जंग तो खुलकर चल रही है और अब तो जिसमें जान बचेगा वही जिंदा रहेगा और जिसका मांझा तेज होगा उसी की पतंग भी राजनीति के आसमान पर टिकी दिखेगी….
टिकट घोषणा की उल्टी गिनती जहां चालू हो गई है.. वहीं नेताओं की सीधी दौड़ दोनों राजधानी (रायपुर दिल्ली) तक चल रही है। भाजपा में जहां लोरमी विधायक का नाम तमाम चैनलों अखबारों में संभावित में सिंगल नाम दे दिया। वही 5 सालों तक भाजपा को पूरी तरह से रंग रोगन करके चकाचक बनाकर रखने वाली नेत्री भी किसी झांसी की रानी से कम न होकर अपनी हुंकार और दावे को बनाए हुए हैं…. कांग्रेस से भी दावेदारी वर्तमान विधायक के साथ-साथ दो और मजबूत आधारों के दावों से टिकट का खेल कैरम बोर्ड की गोटी क्वीन कव्हर की तरह हो गया है… हर कार्यकर्ता हर नेता 99.9% का दावा कर रहा है। अब देखना यह है कि दलीय नेताओं के टिकट रूपी सांप सीढ़ी के इस खेल में कौन 99 का सांप पार करके चुनावी जंग की पहली जीत को अपने खाते में डालने में सफल होगा। यह बात तो तय है कि दावेदारों की खान पान और नींदे सब उड़ी हुई है और शायद यह शेर वे अपने लोगो से कहते भी होंगे
“हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे.., अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो, तुम तो सो जाओ…”
तब तक के लिए नारायण नारायण…😊