मक्कड़ को टिकट नहीं मिलेगी का हल्ला आखिर किस भय से फैलाया जा रहा..?
टिकट से वंचित मक्कड़ क्या तीसरा मोर्चा से तखतपुर राजनीति में रायता फैलाकर कर देंगे सबका दही कांदा…?
बृजपाल सिंह हूरा…✍️

तखतपुर। नगर पालिका चुनाव का माहौल तब बनेगा जब अध्यक्ष का आरक्षण तय हो जाएगा और अध्यक्ष आरक्षण की तारीख हनुमान की पूंछ की तरह बढ़ती ही जा रही है… हालांकि अभी फिर से 7 जनवरी की एक नई तारीख फिर मिली है.. उस तारीख में अध्यक्ष का आरक्षण क्या होगा यह तो नहीं कहा जा सकता पर पूरी संभावना है कि अनारक्षित महिला या पिछड़ा महिला ही तखतपुर नगर पालिका होगा क्योंकि छत्तीसगढ़ बनने के बाद से आरक्षण की श्रेणी में यह दोनों कैटेगरी शामिल नहीं हुए…

अब सवाल यह उठता है कि अगर अनारक्षित महिला हो जाता है तो भाजपा की ओर से वंदना बाला सिंह का नाम लगभग बैलेट पेपर में छप ही चुका है… वही सारी की सारी सुई अटक जाती है कांग्रेस दिशा में आकर.. यहां आम जनों और निष्ठावान कांग्रेस की भी जुबान में मक्कड़ खेमे का नाम हैं पर.. कहीं-कहीं से इस बात की पुंगी भी बजने लगती है कि तखतपुर कांग्रेस हाई कमान किसी भी सूरत में उन्हें टिकट नहीं लेने देगा… आखिर इस बात पर जोर क्यों दिया जाता है कि मक्कड़ को टिकट मिलेगी ही नहीं…? अब यह स्पष्ट दिखाई देने वाली राजनीति है या एक सोची समझी कूटनीतिक चाल है या फिर मक्कड़ के नाम का चुनावी भय है..? जिससे कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि वह चुनावी मैदान में उतरे…

एक बात तो तय है अगर भाजपा से वंदना बाला सिंह और कांग्रेस से पूजा आत्मजीत मक्कड़ के बीच अध्यक्ष का मुकाबला हुआ (जिसकी संभावना कम है) तो सारथी कृष्ण की भूमिका ही इस महाभारत के युद्ध का परिणाम लिखेंगे… और इस महासंग्राम में जो भी विजेता हुआ वह 2028 तखतपुर विधानसभा का आने वाला सिरमौर होगा..

शायद यही वजह है कि मक्कड़ को कांग्रेस का एक गुट विशेष रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है.. वही मक्कड़ भी अपनी आजमाइश में जीत कर यह दिखाना चाह रहे हैं कि हार कांग्रेस की नहीं बल्कि व्यक्ति विशेष की हुई है… और यही संदेश वे प्रदेश राष्ट्रीय स्तर तक देना चाहेंगे… तखतपुर के सियासी पंडितों की पूरी दिली तमन्ना है कि आरक्षण में नगर पालिका अध्यक्ष तखतपुर अनारक्षित हो जाए ताकि चुनाव लड़ने हारने जीतने में किसी की कोई तमन्ना ख्वाहिश अधूरी ना रहे और बाद में कहने का मौका न मिले की ऐसा होता तो वैसा कर देते.. और वैसा होता तो ऐसा कर देते… 2025 का यह परिणाम 2028 के लिए एक सुनहरा चमकता सूर्योदय होगा। वैसे संभावना तो यही जताई जा रही है कि टिकट से वंचित कर दिए जाने पर मक्कड़ खेमा तीसरा मोर्चा तैयार कर मैदान में कूद पड़ेंगे और तखतपुर राजनीति का रायता फैलाते हुए सबका दही कांदा कर देंगे…
वार्डों में भी नाम टिप टिप कर टिकट नहीं दिए जाने के किए जा रहे दावे..

इसी तरह वार्डों में भी कई नाम को एक सिरे से खारिज किया जा रहा है जिस तरह भाजपा के पार्षद कोमल सिंह को टिकट नहीं दी जाएगी का, इतना हल्ला हो चुका है कि कोमल के नाम पर अब तो तखतपुर का बच्चा-बच्चा जान गया है कि इसे टिकिट नहीं मिलेगी। इसी तरह दिलीप तोलानी के नाम पर भी अब यही कहा जा रहा है कि 7 नंबर से इन्हें गच्चा दिया जाएगा और उनके समकक्ष कई नाम को तैयार किया जा रहा है। ऐसे ही कुछ वार्ड है जहां अभी से ऐलान कर दिया गया है कि यहां से आप टिकट ना मांगे.. यह स्थान चुल्लू गुल्लू टुल्लू वगैरह वगैरह के लिए सुरक्षित कर लिया गया है.. कुछ लोगों का सोचना है कि टिकट का स्तर ऊंचा बढ़ाने के लिए इस तरह के कुछ गेम प्लान खेले जा रहे हैं…
नहीं दिख रहे हैं टिकिट बेचईयां शिकारी..?

एक जमाना था जब झऊआ टुकना में लेकर शिकारी टाइप के कुछ लोग पार्षद टिकट बेचने निकल जाते थे और बगैर जीत हार की परवाह किए अच्छे दाम में वह टिकट बेच भी आया करते थे.. हालांकि इस चुनाव की दहलीज पर ऐसे शिकारी अब दिखाई नहीं दे रहे हैं (या उनका रोल जम नहीं पा रहा है) लेकिन तखतपुर के कुछ सियासी विश्लेषको और मसखरे टाइप के लोगों का कहना है कि जिस तरह से सिनेमा हॉल की ब्लैक टिकट का युग समाप्त हो गया वैसे ही पार्षद टिकट बेचने का दौर भी खत्म हो गया.. अब तो हाईटेक जमाना है और टिकट की ब्लैक मार्केटिंग की बजाय अब तो सीधे-सीधे इसकी स्मगलिंग होगी और अमरीशपुरी प्रेम चोपड़ा अजीत की तरह हेलीकॉप्टर स्तर पर सौदेबाजी करने के लिए लॉयन अजीत का सफेद ड्रेस गेटअप फार्मूला चलेगा….

अब देखना यह है नगर पालिका चुनाव के आते-आते और कितने उठा पटक.. गुणा गणित.. ताता थईया होगा.. कितनों को किनारे लगाया जाएगा.. कितनों को साहिल पर डुबाया जाएगा.. कितनों की ऑनलाइन बुकिंग करके नो सिग्नल का बोर्ड दिखाया जाएगा…
तब तक के लिए नारायण नारायण….😊

