धर्मजीत की भाजपा में संतोष के तड़का ने बढ़ा दिया स्वाद..
बृजपाल सिंह हूरा ✍️
तखतपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र में लोकसभा चुनाव मद्दे नजर भाजपा की स्पीड अब बढ़ती दिख रही है.. विधायक धर्मजीत सिंह के नेतृत्व एवं उनके गजब के व्यवहार व्यक्तित्व के चलते तो भाजपा यहां से प्लस चल ही रही थी.. उसमें फिर संतोष कौशिक का तड़का लग जाने से अब सुपर प्लस की संभावना इसलिए बढ़ गई है कि संतोष कौशिक का एक बहुत बड़ा लाव लश्कर भाजपा में शामिल हो गया है और चुनाव के वक्त शामिल होते ही उनकी बढ़ी सक्रियता तोखन साहू के लिए वरदान ही साबित हो सकती है…

संतोष कौशिक का कार्यकर्ता स्तर पर और मतदाता स्तर पर व्यक्तिगत बैंक सिद्ध और साबित हो चुका है, यह बात हर किसी को पता है, छुपाने की बात नहीं है और उन्होंने अपने जनाधार को बनाए रखने के लिए जिस तरह का समय-समय पर सर्विसिंग और मेंटेनेंस करते रहते हैं… दरअसल वही उनकी लोकप्रियता और जनप्रियता में सफल साबित होती है…

ऐन चुनाव के वक्त भाजपा संगठन और विधायक धर्मजीत सिंह ने जिस तरह से तुरुप के इक्का के रूप में संतोष कौशिक को सामने लाया है वह उनकी एक बहुत सधी हुई और रणनीतिक चाल को सिद्ध करती है.. जिससे बाजी शुरू होने से पहले ही भाजपा ने खेल का रुख ही पलट कर रख दिया.. निश्चित रूप से यह विधायक धर्मजीत सिंह के राजनीतिक पुराने अनुभवों और माइंड गेम का लाभ ही है जो तखतपुर क्षेत्र में भाजपा को मिल रहा है..
पुराना हथियार आजमाया हुआ होता है…

भाजपा में नए-नए लोगों को प्रवेश करा कर वोट बैंक बढ़ाने का एक रणनीति अच्छी चाल साबित हो सकती है किंतु पुराने लोगों को डस्टबिन में डालने की बजाय अगर उन्हें भी झाड़ पोंछकर नए शोरूम में सजा दिया जाए तो पुराना माल भी बाजार में अच्छी कीमत देकर जा सकता है… कुछ इस तरह का ही कथन भाजपा में उपेक्षा का दंश झेल रहे पुराने जाने-माने भाजपाइयों का है.. हालांकि यह सब पार्टी का अंदरूनी मामला होता है जिस पर कलमकारों की सीधी दखल नहीं होती है पर बंद आंखों से दिखने वाली पीड़ा को कलम के शब्द से उकेरना भी कर्तव्य परायणता को सिद्ध करता है ..
हम तो अब हारे-हारे टकरहा हो गए हैं..

देखिए साहब हारने का गम उसे होता है जिसके पास कुछ खोने को हो, हम तो अब हारे-हारे टकरहा हो गए हैं.. फिर राजनीति में तो सत्ता को खोना मतलब एक जनम खोकर फिर नई योनि में प्रवेश करने के लिए दूसरा जन्म लेने के बराबर होता है… ऐसे ही बातों के साथ एक कांग्रेसी इस कलमकार के साथ टकरा गए और उन्होंने कहा कि हमारा प्रदर्शन अच्छा रहेगा, परिणाम की बात तो नहीं कर सकते पर उम्मीद है कि अगर हम विधानसभा चुनाव से भी ज्यादा वोट पाए या हार के अंतर को कम कर लिए तो भी हमारे लिए जुलूस निकालने जैसी स्थिति हो जाएगी.. वह इसलिए भी कि विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से हमारे कांग्रेसी भाई लोग भाजपा में गए हैं उस लिहाज से तो तखतपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 15 नहीं 45 हजार की जीत दर्ज करनी होगी तभी वह सही मायने में विजेता कहलाएगा…
पहली बार तो जातिगत समीकरण मिला…

कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में जा रहे लोगों के बाद भी कांग्रेसियों का चुनावी उत्साह बरकरार रहने पर एक कांग्रेसी ने बताया कि इन लोग इतने वर्षों से कांग्रेस में रहे और क्या उखाड़ कर कांग्रेस को दे दिए जो भाजपा में जाकर उनकी फसल को और भी लहलहवा देंगे.. इस पर उसी कांग्रेसी ने बताया कि पहली बार तो कांग्रेस को जातिगत समीकरण वाला प्रत्याशी मिला है और परिणाम में देखिएगा जोरदार धमाका होगा.. इसे भाजपा भांप चुकी है तभी तो कांग्रेसियों के एक-एक वोट को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ..
अब देखना यह है कि कांग्रेस और भाजपा का समीकरण तखतपुर विधानसभा की राजनीति में क्या रंग लाता है…
तब तक के लिए नारायण नारायण….😊
