तखतपुर कांग्रेस प्रत्याशी का सस्पेंस क्या कल खत्म होगा…?
तखतपुर के दावेदारों के साथ-साथ समर्थकों में जहां धुकधुकी, वही आमजनों में भी कांग्रेस टिकिट पर जिज्ञासा
तखतपुर (बृजपाल & ललित) तखतपुर में कांग्रेस प्रत्याशी का सस्पेंस क्या कल खत्म हो जाएगा.. या फिर कुछ दिनों के इंतजार की दस्तक और बनी रहेगी..? यह सवाल तखतपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत प्राय: हर किसी के दिल जुबान जेहन पर बना हुआ है कि आखिर कांग्रेस टिकट का हकदार कौन होगा…?
9 अक्टूबर को तखतपुर भाजपा प्रत्याशी धर्मजीत सिंह का नाम घोषित होने के बाद से ही सारी की सारी निगाहें अब कांग्रेस की तरफ हो गई कि छत्तीसगढ़ स्तरीय राजनीति का एक बड़ा चेहरा के रूप में गिने जाने वाले धर्मजीत सिंह के समक्ष मुकाबले में कांग्रेस की तरफ से किसके नाम पर अंतिम मोहर लगेगी..?
आमतौर पर लोगों की मानसिकता बनी हुई है कि रश्मि सिंह या आशीष सिंह ही कांग्रेस से प्रत्याशी होंगे। सियासी समीक्षकों और विधायक समर्थको के द्वारा इस बात को लेकर अपने मजबूत तर्क भी है कि 1996 से लेकर अब तक लगातार इस परिवार ने ही तखतपुर विधानसभा से कांग्रेस का नेतृत्व किया है.. दो बार लगातार (2008, 2013) हार जाने के बाद भी तीसरी बार भी 2018 में पार्टी की टिकट इसी परिवार में रही तो लोगों की तर्क के साथ उम्मीद है कि इस बार जीतने के बाद तो टिकट बदलने का संभावना ही नहीं है। अंत में यही कहा जाता है कि टिकिट में नाम भले बदल जायेगा पर टिकिट घर में ही रहेगी। सूत्रों के अनुसार सीडीएम ने इनके लिए पूरी ताकत झोंकी हुई है।
वहीं अन्य दावेदारों की माने तो वे भी अपना अपना टिकट पाने का दावा पूरी मजबूती से रखे हुए हैं.. रश्मि सिंह आशीष सिंह के समक्ष टिकिट की दौड़ में सबसे प्रबल दावेदार के रूप में संतोष कौशिक का ही नाम है। जिनके समर्थक पूरी तरह से उनकी टिकट फाइनल होने को लेकर आशान्वित और निश्चिंत है और सर्वे के आधार पर टिकट मिलने का दावा भी कर रहे हैं। बताया जा रहा कि बाबा साहेब जी नजरें इनायत रंग जरूर लाएगी..!
वही पूर्व विधायक जगजीत सिंह मक्कड़ एवं उनके सुपुत्र आत्मजीत सिंह मक्कड़ को भी दौड़ से इसलिए बाहर नहीं माना जा सकता क्योंकि उनकी उम्मीद प्रदेश स्तरीय टिकट वितरण जातिगत समीकरण पर टिकी हुई है। जिस तरह से सोशल मीडिया में धमतरी से गुरमुख सिंह होरा और रायपुर उत्तर से कुलदीप जुनेजा के नाम पर कोई Positive संदेश नहीं आ रहा है। उस लिहाज से मक्कड़ परिवार को उम्मीद है कि अगर ऐसा कोई समीकरण बन गया तो सिक्ख समाज प्रतिनिधित्व के लिए कांग्रेस उन पर भी दांव खेल सकती है। वैसे इनके समर्थक मानते है कि डबल इंजन वाले मक्कड़ 5 दिनों तक दिल्ली के सियासी गलियारों में रहकर कोई तोता मैना की कहानी सुनकर नही आए होंगे, जरूर कुछ न कुछ अपना राजनैतिक नैन मटक्का तो फिट किए ही होंगे….
अब देखना यह है कि किसका दावा मजबूत साबित होता है और बुलंद तकदीर के साथ कांग्रेस टिकिट का मुकद्दर का सिकंदर कौन होगा..?
तब तक के लिए नारायण नारायण…😊