तखतपुर (बृजपाल & ललित)
लिव इन रिलेशनशिप
इन दिनों महानगरों की नई जनरेशन में जोरो से चलन में है जहां बिना विवाह किए ही साथ साथ रहा जाता है पर अब राजनीति में भी इसने अपने पैर पसार लिए हैं.. हालांकि राजनीति में लिव इन रिलेशनशिप का अर्थ वैसा नहीं है जैसा महानगरों में नई जनरेशन में चल रहा है पर भाव कमोंबेस वैसे ही है… यहां लोग दल का नहीं बल्कि दिल का रिश्ता निभाने में ज्यादा विश्वास कर रहे हैं… पुरानी कहावत थी गुड़ खाएंगे पर गुलगुले से परहेज करेंगे.. वैसा ही कुछ अभी तखतपुर की राजनीति में भी दिख रहा है जिसमें बिना राजनीतिक विवाह किए ही लोग लिव इन रिलेशनशिप वाली राजनीति कर रहे हैं.. जहां आपसी मनमुटाव होने पर डाइवोर्स या तलाक लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती है.. ऐसा ही एक नजारा देखकर लेखक ने जब एक नेताजी से पूछा कि आपने यह पार्टी कब ज्वाइन कर ली..? तो उन्होंने हंस कर कहा है कि पार्टी ज्वाइन नही किया हूं.. बस यूं समझो कि मैं लिव इन रिलेशनशिप में हूं…
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मैं आपकी तरफ हूं….👈
एक फिल्म आई थी दूल्हे राजा जिसमें होटल का मालिक कादर खान का मैनेजर जॉनी लीवर हमेशा विपक्षी तरफ रहता है और कादर खान जब पूछता था कि तू किसके तरफ है तो वह देखता तो कादर खान की तरफ रहता था पर उंगली का इशारा दूसरे तरफ करके कहता था मैं आपकी तरफ हूं…😅 वैसा ही कुछ खेल तमाशा इन दिनों तखतपुर की राजनीति में दिखना शुरू हो गया है.. लोग ऑक्टोपस की तरह सब तरफ अपने पैर पसार कर रखना चाहते हैं और अपने नेताजी को तरफ देखकर विश्वास दिलाते रहते हैं कि मैं आपके ही तरफ हूं अब वह उंगली का इशारा किधर-किधर करते हैं यह तो आने वाले समय में और भी बहुत अच्छे से देखने को मिलेगा… ऐसे ही एक नेताजी से लेखक टकरा गए तो कहा कि तुम तो घूमते उनके साथ हो पर उंगली उधर दिखा रहे हो तो वे बोले कि भगवान ने हाथ में 10 उंगलियां दी हैं कम से कम 10 लोगो की तरफ एक एक उंगली तो दिखा ही सकता हूं…😅
नेताजी बने नारदमुनि…
टिकट की दौड़ के नेताओं को इन दोनों एक जगह बैठे रहने में चैन नहीं मिल रहा है। एक पल में बिलासपुर तो दूसरे ही क्षण में रायपुर और ज्यादा हुआ तो सीधे दिल्ली उड़ गए…ये स्थिति कमोबेश हर टिकटार्थी और उनके समर्थकों की बनी हुई है। इनमें से एक नेताजी ने तो यह भी कह दिया कि तुम्हारे वेब चैनल का नाम भले नारदमुनि है पर इन दिनों नारदमुनि सी स्थिति हमारी हो गई है.. एक जगह हमारे कदम टिक ही नहीं रहे हैं…😅
अफवाह का शुरू हुआ शोर..
तखतपुर में चुनाव हो और अफवाहों का शोर ना हो ऐसा दौर तो कभी तखतपुर से गुजरा ही नहीं… भोर काल से आरंभ अफवाह नाश्ते की टेबल में जहां अटकलों के दौर में बदल जाती है.. वहीं लंच टाइम आते आते वह एक पक्की खबर बन जाती है और शाम के चौक चौराहों पर दावे के साथ टेबल ठोक कर बोलने वालों की कमी नहीं रहती है…😅 अभी प्रेमिका की दूसरे से शादी हुई भी नहीं और लोगों ने प्रेमी को मजनू बना दिया…😅 अभी कांग्रेस से टिकट तय हुई नहीं है.. लोग टिकट कटने वालों को बागी प्रत्याशी भी बना दिए… ऐसे ही एक खबर कल रात में तेजी से फैली की फलां नेताजी की मंगल भवन में 500 लोगों के साथ बैठक कर रहे हैं और बगावत का बिल्कुल फूंक रहे हैं.. लेखक ने जब यह बात सुनी तो पता किया कि अभी टिकट तो किसी की अधिकृत रूप से फाइनल नहीं हुई है.. ऐसे में अफवाहों के बाजार में बगावत का बिगुल भी चल पड़ा.. खोज खबर पता किया तो पता चला कि नेताजी आउट ऑफ स्टेशन है। तब लेखक ने सोचा कि हो सकता है अफवाहों के बाजार को गर्म करने के लिए नेताजी ने हजारों किलोमीटर दूर से ही अपने कार्यकर्ताओं से वर्चुअल में बैठक कर ली होगी।
ऐसी ही खबरों के के साथ समय-समय पर हम आपसे मिलते रहेंगे तब तक के लिए नारायण नारायण…😊