खाओ पियो टंच.. भाड़ में जाए कांग्रेस का प्रपंच..
कांग्रेस में खिला-पिलाकर रखने की चल रही कबड्डी
बृजपाल सिंह हूरा…✍️

तखतपुर। हमारे यहां एक पुरानी कहावत है कि पेट के रास्ते से ही दिल में जगह बनाने की राह तैयार होती है… इस फार्मूले में किसी जमाने में गृहणियां अपने पति और परिजनों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन खिलाकर अपने लिए सुंदर भाव या अपनत्व की भावना पैदा करते थे… ऐसा ही कुछ फॉर्मूला इन दोनों कांग्रेस के बड़े नेताओं को क्लिक कर गया है.. जिसके चलते कार्यकर्ताओं में अपनत्व की भावना जगाने के लिए खाना खजाना का कंपटीशन चालू हो गया है..

चुनाव का तो अता पता नहीं पर इस बहाने ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भारी बल्ले बल्ले चल रही है और वह दोनों शीर्ष नेताओं को आपसी प्रतिस्पर्धा में जुझवाकर अपना पेट भर रहे हैं.. लगभग 10/12 दिन पहले कांग्रेस के नए उभरते युवा असरदार नेता ने बिलासपुर डायमंड होटल में ₹40000 की शानदार डिनर पार्टी दे दी.. (वो अलग बात है कि केक के दो फाड़ होने से पहले ही केक कटवाने वाले आपस में ही दो फाड़ हो गए) उस पार्टी का हल्ला और ग्लैमर इतना तेजी से फैला की जवाबी हमले में ठाकुर साहब ने भी बग्गा फार्म में कुकरा चेपटी वेज बिरयानी का रंगारंग रात्रि भोज का आनंद दिलाकर जय जयकार कराई.. अभी उस जय जयकार की धमक कम भी नहीं हुई थी कि…

युवा असरदार नेता ने कार्यकर्ताओं को लेकर सीधे शेरे पंजाब पहुंच गए…. न सत्ता, न सरकार, न चुनाव कुछ भी नहीं होने के बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जिस तरह से पूछ परख हो रही है.. उससे खखवाए सत्ता पक्ष के भगवाधारी खाली पेट में ठीक से डकार भी नहीं ले पा रहे हैं… इस विषय पर टिप्पणी की चाह में जब नारदमुनि वेब चैनल से सीधा संपर्क किया तो वहां यही बताया गया कि अभी के घटनाक्रम में फिल्म नमक हलाल का वह दृश्य याद आ जाता है जब अमिताभ बच्चन गांव से शहर काम की तलाश में अपने गांव के मित्र कैमरामैन राम सेठी के पास आता है और वहां देखता है कि शहर में उसकी कोई इज्जत नहीं है वह वापस गांव जाने का इरादा करता है तो राम सेठी बोलता है जाना नहीं तू.., होटल में मैनेजर है अपना यार और होटल भी है फाइव स्टार.. मैं तुझे फाइव स्टार में नौकरी लगवाऊंगा..😆

बस कुछ ऐसा ही तखतपुर कांग्रेस में चल रहा प्रतीत हो रहा है.. कार्यकर्ताओं की खींचतान में ही तू जाना नहीं के लिए रकम रकम किस्म किस्म का स्वादिष्ट व्यंजन बेमौसम खिलाया पिलाया जा रहा है… चौक चौराहों में ख़वईय्या लोग गवईय्या भी बने हुए हैं ताकि खिलाने पिलाने की यह प्रतिस्पर्धा चलती रहे और आगामी विधानसभा चुनाव तक का 3 साल से भी ज्यादा का सफर मुफ्त खाते पीते जैसे तैसे कट ही जाए…

खाए पिए खिसके, हम कब हुए हैं किसके… विचारधारा फार्मूला वाले कई लोग तो नेताओं को परमानेंट हलवाई लगवा लेने की भी जहां सलाह दे रहे हैं… वहीं कई लोगों का कहना है कि खाओ पियो मस्त रहो टंच.. भाड़ में जाए कांग्रेस का प्रपंच…😆
अब देखना यह है कि खवा पिया कर अपने पाले में जमाये और बनाए रखने के फार्मूले में कार्यकर्ता कितने दिनों तक अपने ऊपर वफादार का टैग लगाकर बनाए रहेंगे...
तब तक के लिए नारायण नारायण…😊
