चुनावी मुसुवा तको ह भूख मरत हे…

तखतपुर (बृजपाल & ललित)

चुनावी मुसुवा तको ह भूख मरत हे…

छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल सीट तखतपुर जहां दो दिग्गजों के बीच सीधे सीधे चुनावी दो दो हाथ होगा.. दोनों दिग्गजों के द्वारा चुनावी भंडारा और तिजोरी खोल दी जाएगी… सुन सुनकर लोगों की उत्सुक्तता इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि लगने लग गया था कि आते जाते कुकरा चेपटी खंबा से व्यवहार बनाने वाले तर बतर होते रहेंगे… बड़े दुखी मन से कार्यकर्ता ने बताया कि चेपटी कुकरा के बात झन कर मोर भाई.. इंहा हमला देख के पारा मुहल्ला के कुकुर ह भुंकत हे… 😅 बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का.. जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला… वाला वाक्या किस्सा प्रतीत हो रहा है… कल दशहरा की रात्रि में ही एक बहुत ही सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय चुनावी कार्यकर्ता से जब मुंगेली बिलासपुर के लोगो ने गाड़ी रोककर पूछा कि यहां तो दो दिग्गजों की टक्कर में तुम लोगों का जलवा होगा… तो बड़े दुखी मन से उसने अपने दोनों कानों को अपनी हथेलियों से बंद करते हुए कहा बस कर मेरे भाई अब मत बोल.. सुन सुन के कान पक गए हैं.. यहां हमारी पूछ परख तो छोड़ो.. इस चुनाव में तो चुनावी मुसुवा तक ह भूख मरत हे…😅

रावण तको दुबरा गए…

एक जमाना था जब मोटे ताजे लोगों को बहुत तंदुरुस्त और स्वस्थ माना जाता था.. समय बदला लोगों में फिटनेस और दुबला होने का चलन और जुनून चल पड़ा… चुनावी मौसम के दशहरा में रावण को देखने के बाद ऐसा लगा कि डाइटिंग और जिम फिटनेस का असर इस बार रावण में भी देखने को मिल गया है… जनकपुर दशहरा मैदान में भारी भरकम और मोटे ताजे रावण का दहन करने में भी लोगों को आनंद आता था और लगता था कि किसी बाहुबली का दहन किए हैं पर इस दशहरा तो दुबले पतले रावण को देखकर शायद अतिथियों को भी मजा नहीं आया होगा.. कुछ लोगों का कहना था कि कुपोषण का शिकार दिख रहे रावण के पुतले पर भी कमीशन का असर हो गया है.. वही कुछ लोगों ने कहा कि तखतपुर में कई जिमखाने खुल गए जिस वजह से अब रावण भी अपना वजन घटाकर फिट हो गया है… वहीं कुछ लोगों का कहना है कि चुनावी प्रभाव से रावण जी भी दुबले हो गए हैं…😅

अऊ नई सहिबो बदल के रहिबो…

      यह संवाद आजकल चुनावी राजनीति में खूब चल रहा है.. यह स्लोगन भले ही भाजपा ने बनाया है लेकिन कई मनोरंजन और मजाकिया लहजे में इसे कांग्रेसी भी बोलने से नहीं चूक रहे हैं.. अब तो आम मतदाता और चुनावी प्रेमी कार्यकर्ता भी बोलते रहते हैं अऊ नई सहिबो, ब्रांड ल 🥃 बदल के राहिबो…😅 भाजपा वाले तो यह संवाद सरकार बदलने की बात को लेकर कहते हैं.. पर पर कांग्रेस वाले तो भाजपा के इसी स्लोगन को उनकी टिकट की लड़ाई से जोड़कर बनाते हुए कहते रहे हैं कि अऊ नई सहिबो टिकिट बदल के रहिबो… भाजपा का यह संवाद प्रदेश में सरकार को बदल पता है या नहीं यह तो नहीं कह सकते पर जन-जन में यह संवाद स्लोगन चल रहा है और घरों में भी मियां बीवी के झगड़े पर कई पतियों द्वारा अऊ नई सहिबो बदल के रहिबो का संवाद भी बोलते सुना जा रहा है… एक समाज में तो यह स्लोगन मजाकिया अंदाज में चल रहा है कि अऊ नई सहिबो मुखी ल बदल के रहिबो…😅 यह अलग बात है कि मुखी साहब के कार्यकाल की श्रेष्ठता को देखते हुए इनके मोदी की तरह रिपीट और रिपीट होने के दावे भी किए जाते हैं…😊

चुनावी छुतहा चेहरे खुद को फुंकवाने खोज रहे बईगा..

          चुनाव की सक्रियता में भेदभाव ऊंचनीच की कोई बात नहीं होती है पर चुनाव के लिए कौन छुतहा है और कौन लकी है..? इसकी पहचान अवश्य की जाती है… तखतपुर चुनाव में भी कई ऐसे चुनावी छुतहा है जिनके कदम रख देने भर से ही प्रत्याशी का चुनावी राम नाम सत्य हो जाता है… ऐसे में कई चिन्हांकित चुनावी छुतहा लोग जो आज तक कभी विजय जुलूस में घूमने के सौभाग्य से भी वंचित है (मतलब जिहां जिहां कदम पड़े संतन के उहां बंठाधार…) ऐसे लोग हर चुनाव में सक्रिय रहते हैं और अच्छे-अच्छे राजनेताओं की चलती दुकानों को इन्होंने बंद करा दी है.. ऐसे लोगों ने इस बार अपने लिए एक बईगा की तलाश की है और जो उन्हें फूंक फांक कर उनके छुतहा होने के सारे कीटाणुओं वायरस को इनकी पनौती भरी चुनावी जिंदगी से अलग कर देगा.. अब देखना यह है कि ऐसे चिन्हांकित चुनावी छुतहा लोग इस बार बईगागिरी और फुंकवाने से किस हद तक सफल हो पाएंगे…. ये हम अभी कह तो नही पाएंगे…
         तब तक के लिए नारायण नारायण….😊

               अगर आप लोगों को ऐसे चटपटे रसीले चुटीले मनोरंजक चुनावी खबरों में आनंद आता है तो आप हमारा उत्साह बनाए रखे… हम आपके आनंद में कोई कमी नही होने देंगे…🙏
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