प्रत्याशियों की बढ़ती संख्या से क्या एंटी इनकंबेंसी मतों का हो जाएगा विभाजन…? क्या 2023 का चुनाव 2013 के इतिहास को दोहरा देगा….?

प्रत्याशियों की बढ़ती संख्या से क्या एंटी इनकंबेंसी मतों का हो जाएगा विभाजन…?
क्या 2023 का चुनाव 2013 के इतिहास को दोहरा देगा….?

तखतपुर (बृजपाल & ललित) तखतपुर विधानसभा क्षेत्र चुनाव की सुबह का सूर्य अब धीरे-धीरे निकलना आरंभ हो रहा है चिड़ियों की मधुर चहचहाहट के साथ गुलाबी ठंड की दस्तक और ओस वातावरण के साथ वर्ष 2023 के नए नेतृत्व और नई सरकार की बागडोर किसके हाथों में रहेगी और कौन होगा जिसकी आवाज से तखतपुर की हवाएं अपनी दिशाएं बदल देंगी….

         तखतपुर विधानसभा चुनाव 2023 में बनने वाले समीकरणों की स्थिति धीरे-धीरे सुबह की गहरे कोहरे की धुंध से छंट कर नजर आने लगी है और जिस तरह का वातावरण अपने नए स्वरूप की दिशा में जा रहा है.. उस आधार पर तो फिलहाल यही लग रहा है कि कहीं तखतपुर विधानसभा चुनाव 10 साल पहले 2013 की दिशा में तो नहीं जा रहा है..? क्योंकि उस वक्त भी कुछ-कुछ ऐसी ही हवाएं और सियासी फिजाओं की लहर थी.. जिसके परिणाम ने अच्छे-अच्छे सियासी पंडितों के दिमागी तारों को झझकोर कर रख दिया था…

            वर्ष 2013 में एंटी इनकंबेंसी का जबरदस्त वातावरण बना था और लगने लगा था कि परिवर्तन की हवा नहीं बल्कि आंधी चल रही है.. पर परिवर्तन की आंधी चारों दिशाओं से उठी और चारो अलग-अलग दिशाओं में अपना-अपना घर बना लिया.. जिस वजह से परिवर्तन का स्वरूप चलने वाली आंधियों से बेअसर होकर अपने वजूद और स्थायित्व को बरकरार रखा और एंटी इनकमबेंसी कहीं ना कहीं बिखर कर रह गई और सत्ता परिवर्तन की आंधी एक भंवर जाल की तरह किसी गहरे समुंदर में गुम होकर रह गई…

           अभी के चुनाव को किसी और चुनाव से सीधे-सीधे तुलना करना हालांकि जल्दबाजी होगी पर समीकरण कुछ-कुछ वैसे ही बनते जा रहे हैं इससे इंकार भी नही किया जा सकता है… अभी वर्तमान में भाजपा या कांग्रेस कौन ज्यादा कमजोर है या कौन बहुत ताकतवर है इस पर होने वाली बातें हफ्ते 10 दिन बाद इसलिए भी बदल जाएंगी क्योंकि चुनावी शबाब और गर्माहट आरंभ हो चुकी रहेगी… ऐसे में 17 नवंबर आते आते अगर भाजपा कांग्रेस दोनों ने भी किसी तरह की कमी या कमजोरी नहीं की तो कमोबेश दोनों ही आगे पीछे दौड़ते नजर आएंगे…

     ऐसे में अब परिणाम को प्रभावित करने वाले समीकरणों में जोगी कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय जितने ज्यादा एंटी इनकंबेंसी वोट काटेंगे उतना ही तेजी से एंटी इनकंबेंसी का ग्राफ नीचे गिरेगा और तब बराबरी के मुकाबले में जिसकी तकदीर बुलंद होगी वही मुकद्दर का सिकंदर होगा और उसे ही आखिरकार लोग कहेंगे कि जो जीता वही सिकंदर …
          यह तो है हमारी चुनावी विश्लेषण की संभावित तस्वीर है… अब यह तस्वीर वर्तमान परिदृश्य में किस हद तक और कब तक खरा उतरेगी उस वक्त के इंतजार तक के लिए नारायण नारायण……😊

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