जो है नाम वाला वही तो बदनाम है…. चुनावी चटपटी

     तखतपुर (बृजपाल & ललित)


   जो है नाम वाला वही तो बदनाम है…

           खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.. इस कविता पाठ को स्कूल दौर में हमने खूब पढ़ा था.. आज जब चुनावी महायुद्ध का शंखनाद हो चुका है तो ऐसे में एक बार फिर पंचगनी स्कूल में पढ़े कविताओं की लाइन याद आ रही है.. जब तखतपुर विधानसभा चुनाव कुरुक्षेत्र में दर्जन भर से ऊपर पुरुष प्रत्याशियों के बीच में सिर्फ और सिर्फ एक महिला प्रत्याशी ही मुकाबले में है.. जो कहीं ना कहीं जमीनी स्तर पर महिला जागृति, महिला आरक्षण, महिला सशक्तिकरण आदि जैसे जुमले का नेतृत्व कर रही है… पिछले चुनाव में दो महिलाओं के बीच त्रिकोणीय संघर्ष में मुकाबला हुआ था.. आमतौर पर लेडिस फर्स्ट, महिलाओं को बराबरी का अधिकार, बेटा बेटी एक समान जैसे शब्द योजनाओं और श्लोगनो के समक्ष दर्जन भर से ऊपर पुरुषों के बीच में एक महिला प्रत्याशी क्षेत्र ने महिलाओं का मान सम्मान स्वाभिमान सुरक्षा का ध्यान रखा है… अब देखना यह है कि चुनावी महायुद्ध में खूब लड़ी मर्दानी की जोश और जुनून का दौर कहां तक सफल हो पाता है… वैसे उनके चाहने वाले एक बात जरुर बोल रहे हैं जो है नाम वाला वही तो बदनाम है…..

कमल का फूल कही सिरदर्द न बन जाए..

     इस वर्ष एक ऐसा संयोग बना है कि एक ओर जहां चुनावी महाकुंभ का त्यौहार अपने शबाब पर है.. वही देश के सबसे बड़े पर्व दीपावली भी आसपास की तिथि पर ही है.. ऐसे में माना जा रहा है कि दीपावली के असर से चुनावी महाकुंभ प्रभावित होगा या फिर चुनावी महाकुंभ से दीपावली की रोशनी कम होगी..? पर इन सब के बीच से इस चुनावी दीपावली में सबसे बड़ी समस्या कांग्रेसजनों के पास आने वाली है….😳 जब दीपावली पर्व पर पूजा के लिए उनकी गृह लक्ष्मी जी उन्हें कमल का फूल लेकर आने के लिए कहेंगी तब उनकी स्थिति इस चुनावी दीपावली में क्या होगी..? यह सोचकर ही कलेजा मुंह को आने लगता है..! एक मसखरें साथी ने तो मजाकिया लहजे में कहा कि क्या फलां फलां कांग्रेसी नेताजी इस दीपावली में पूजा करने के लिए कमल का फूल घर में लाने की हिम्मत जुटा सकेंगे….? और कमल का फूल ना ले जाने पर कहीं गृहलक्ष्मी जी और मां लक्ष्मी जी रूठ गई तो क्या होगा..?

व्हाट्सएप व्हाट्सएप में ही बना रहे सरकार और विधायक.. 

           तखतपुर में फील्ड पर नेतागिरी प्रचार जनसंपर्क भले न दिखे पर व्हाट्सएप ग्रुप में नेशनल और इंटरनेशनल स्तर के भाजपाई कांग्रेसी ऐसे दावे प्रतिदावे करते हैं जैसे उनके बोलने से ही कोई विधायक जीत गया या हार गया या फिर सरकार बन गई या चली गई…😅 शाम के बाद इसका असर ज्यादा दिखने लगता है बताया जाता है कि यह सब चुनावी भेंट मुलाकात का साइड इफेक्ट रहता है जो फील्ड में तो नहीं दिखता पर व्हाट्सएप में तो ऐसा लगता है जैसे तखतपुर की राजनीति सीधे दिल्ली से ही संचालित हो रही है… घर का वोट तक किसी को दिला पाने का गुदा न रखने वाले और तखतपुर की गली मोहल्ले से भी वाकिफ नहीं लोग भी व्हाट्सएप में सरकार पलटने का दावा कर देते हैं… और मोबाइल व्हाट्सएप में किए दावे प्रतिदावों को अपने अपने नेता नेताइन को दिखा दिखाकर उन्हें अपने चुनावी बहादुरी वीरता भरे कारनामों का बखान करते हैं… आपने तो कमाल कर दिया के शाबाशी भरी थपकी के साथ नेता नेताइन द्वारा मिलने वाली शाबाशी से फूल का कुप्पा हुए जा रहे लोग कही 17 नवंबर तक आते आते फट न जाए…😅

सवाल आपसे…?


👉 मन में रखो संतोष… के कोडवर्ड स्लोगन का अर्थ क्या क्या निकाला जाता है…?
👉 चुनावी नेताओं की नीलामी बोली का सेंसेक्स ग्राफ इस बार धड़ाम से क्यों गिरा हुआ है…?
        
               समय-समय पर आप लोगों के लिए ऐसे ही चटपटी गुदगुदाती चुनावी खबरों के साथ उपस्थित होते रहेंगे..
         तब तक के लिए नारायण नारायण…😊
error: Content is protected !!