धीरे-धीरे सुबहा हुई जाग उठी जिंदगी…

धीरे-धीरे सुबहा हुई.. जाग उठी जिंदगी…

तखतपुर (बृजपाल सिंह हूरा) 

      
         धीरे-धीरे सुबहा हुई जाग उठी जिंदगी… वो सुबहा कभी तो आएगी.. ऐसे कई गीत है जिनके माध्यम से अंधेरे को पार करता इंसान एक नई सुबह की पहली किरण का इंतजार करता रहता है… इस चुनावी मौसम के लगभग अंतिम पायदान पर वैसा ही इंतजार 3 दिसंबर की सुबह का तखतपुर क्षेत्र वासियों को है.. जब विधानसभा चुनाव रिजल्ट का पिटारा खुलेगा और मतदान के बाद बीते 16 दिनों का सस्पेंस खत्म होगा कि तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में कड़े मुकाबले में आखिर जनता ने किसके पक्ष में अपना समर्थन दिया है…!

      प्रातः पहले डाक मत पत्रों की गिनती की जाएगी एवं फिर ईवीएम मशीन में तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के मत डाले 1 लाख 79 हजार 492 मतदाताओं ने किसके भाग्य में तखतपुर विधानसभा क्षेत्र की बागडोर संभाल की जिम्मेदारी सौंपी है, उसकी गणना होगी…. मतदान गिनती में शामिल होने के लिए कांग्रेस भाजपा आदि से चुन-चुन के चुनिंदा बड़े दिलवालों को जिम्मेदारी सौंपी गई है… वहीं मतगणना का प्रेशर ना झेल पाने वाले कुछ लोगों ने मतगणना स्थल के बाहर हो हो.. ही ही.. करने की जिम्मेदारी ले ली है.. तो कई घर में टीवी के माध्यम से ही पूरे प्रदेश के हाल-चाल की जानकारी लेंगे… इन सब से बाहर कुछ लोग हैं जिन्हें चुनाव मतदान मतगणना, जीत हार से कोई मतलब नहीं होता लेकिन छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े चुनावी महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए एक पिकनिक का वातावरण बना लेते हैं और वैसे लोग कहीं कोंटा किनारे में जाकर अपनी मौज मस्ती में लगे रहते हैं और भाड़ में जाए दुनिया.. जो हारे तो हार जो जीते तो जीत का सोच कर दिन भर की छुट्टी का अपना भरपूर मनोरंजन और इंजॉय करेंगे…😊

जमकर खुलेंगे ढक्कन…

           अब जो दल जीतेगा उसके प्रेमियों के तो ढक्कन और बोतल क्या पेटियां खुलेगी और जो हारेगा वहां हार को दिल से लगाए लोग गम में अपने आप को बोतल का सहारा लेकर रात पार करेगा… कुल मिलाकर किसी की जीत, किसी की हार, किसी की खुशी, किसी का मातम, किसी का जश्न, किसी की खामोशी रहेगी पर एक चीज कॉमन रहेगी.. वह यह की ढक्कन दोनों तरफ से ही खुलेगा…😅 कहीं बैंड बाजे का शोर होगा, तो कहीं मातम की शहनाई बजेगी.. कहीं कहकहां का दौर चलेगा.. तो कहीं सिसकियां की आवाज आएगी.. कहीं सुनहरे भविष्य के सपने सजाए जाएंगे तो कहीं कल्पना में डूबे ख्वाबों के तारों के टूटने की आवाज सुनाई देगी.. यह सब वातावरण कुछ दिनों और कुछ समय का रहता है.. उसके बाद जिंदगी फिर सब की वैसी चलने लग पड़ती है… हर 5 साल के चुनावी राज्य उत्सव का यह बहुत पुराना रोना गाना हंसना है इसलिए बहुत ज्यादा खुशी न मनाओ और बहुत ज्यादा दुख ना करो.. क्योंकि जिंदगी हर कदम एक नई जंग है…!

सवाल आपसे..?

         तखतपुर नगर का बुलेट की तरह धक धक धक धक करता ऐसा कौन सा भाजपा नेता है जिसने मतगणना की पूर्व संध्या से ही पटाखे का लंबा स्टॉक जमा कर लिया हैं..?
     अब देखना यह है कि कौन खुशियों के सागर के हिलोरें मारेगा और कौन गम के समुंदर में डूब जाएगा…
       तब तक के लिए नारायण नारायण…. 😊
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