तखतपुर (बृजपाल सिंह हूरा)
सत्ता की रेवड़ी का लालच दिखने लगा आंखों में…
सत्ता सरकार बदलते ही लाभ की नियुक्तियों पर बैठे लोगों के लिए कोर्ट मार्शल किए जाने का आदेश जारी हो गया है.. वहीं अब नए चेहरों में रेवड़ियां बंटने की खबर से ही सत्ता सरकार का महाप्रसाद झोंकने वालों की लाइन और भीड़ बढ़ती जा रही है… कांग्रेस सरकार में सेवा सहकारी समितियां कृषि उपज मंडी आदि में जहां ग्रामीण अंचल के सियासी कलाकारों नुमाइंदों को आसंदी प्रदान की गई थी… वहीं नगर स्तर पर नगरपालिका में एल्डरमैन का पद देने के साथ-साथ विभिन्न विद्यालयों शैक्षणिक संस्थानों में जन भागीदारी की टीम तैयार की गई थी.. जिसमें अब खुद को एडजस्ट करने के लिए कई चुनावी सक्रियता दिखाएं नुमाइंदे स्वयंभू कलाकारों ने खुद से ही अपनी लामबंदी आरंभ करते हुए अपने-अपने छोटे बड़े आकाओं के यहां दस्तक देते हुए दहलीज पर माथा रगड़ने की प्रक्रिया को भी आरंभ कर दिए हैं… वहीं कई लोग बच्चों की थाली से धंधा करने की मंशा के साथ भी मध्यान्ह भोजन आदि पर भी अपनी गिद्ध दृष्टि जमाए हुए हैं…
जो है नाम वाला वही तो बदनाम है…
मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए… यह गीत किसी जमाने में बहुत मशहूर और सुपरहिट रहा… अब ऐसा गीत कुछ लोगों के लिए नगर राजनीति में भी चल रहा है जिसका फायदा उठाने के लिए कुछ सफेदपोश लोग काला कारनामा करने का सोचने लगे हैं.. नगर राजनीति में दो नगरसेवकों के चोला परिवर्तन की खबर से कइयों पर संदेह के बादल मंडराने लग पड़े थे.. जिस वजह से कुछ लोगों को देख कर कई लोग दो बेचारे बिना सहारे.. का गीत गुनगुनाने लग गए थे.. वही इसका लाभ उठाने के लिए कुछ लोगों की अपनी अब रणनीति चलने लगी है.. जिसके तहत कुछ कथित व्हाइट कॉलर वाले लोगों का मानना है कि अब अगर मौका अवसर लगा तो हम लोग ही गोपनीय ढंग से चोला परिवर्तन की क्रॉसिंग कर देंगे तो भी नाम तो उन्हीं का ही होगा क्योंकि मुन्नी तो अब एक बार बदनाम हो ही गई है.. वही बदनामी का दामन धोने के लिए उन्होंने भी कहना आरंभ कर दिया है कि जो है नाम वाला वही तो बदनाम है…. और दो बेचारों ने भी इस बार तय कर लिया है कि खुल्लम-खुल्ला पक्ष में राइट ✔️लगा देंगे ताकि हमारे नाम पर कोई क्रॉसिंग ना करने पाए…😅
सवाल आपसे..?
👉 सत्ता सरकार बदलने के बाद सत्ता पक्ष संबंधित कौन-कौन से चेहरों में उत्साह और उमंग इन दिनों मिस्टर इंडिया की तरह गायब है…?
👉 सत्ता सरकार जाने के अफसोस में कइयों की स्वाभाविक मायूसी अभी तक बनी हुई है.. तो संबंधित कई चेहरे आश्चर्यजनक रूप से खिले-खिले और खिलखिलाए हुए नजर आ रहे हैं…?
👉 पुराने दिनों में रेवड़ियां बांटने के शिकारी सौदागर क्या एक बार फिर से सक्रिय नजर आ रहे हैं..?
अब देखना यह है कि प्रदेश सत्ता सरकार बदली परिस्थितियां और क्या-क्या रंग मंजर दिखाती है..?