अविश्वास की डगर, तलवार की धार पर चलने के समान
रणनीतिकारों सूरमाओं की प्रतिष्ठा लगेगी दांव पर
बृजपाल सिंह हूरा ✍️
तखतपुर। नगर पालिका तखतपुर के दो कांग्रेस पार्षद के भाजपा में शामिल हो जाने और भाजपा पार्षद दल द्वारा पूर्ण बहुमत के साथ नगर पालिका अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का परचम उठा लिए जाने के बाद से तखतपुर नगर की राजनीति की चिंगारी अब एक ज्वाला का रूप लेते जा रही है और लोकसभा चुनाव से पहले तखतपुर में नगर राजनीति के अखाड़ा माने जाने वाले नगर पालिका में कांग्रेस भाजपा आमने-सामने की स्थिति में दो-दो हाथ करने के मूड में है। इनमें से हार और जीत तो लगभग तय दिख रही है पर देखना यह है कि जीत उत्साह जनक होती है या सम्मानजनक हार होती है।
दलीय निष्ठा की अग्नि परीक्षा का दौर अब..
दलीय निष्ठा की अग्नि परीक्षा का दौर अब देखने को मिलेगा। कांग्रेस सरकार के दौरान में खुद को गांधी नेहरू के जमाने के निष्ठावान कांग्रेसी साबित करने वालों के लिए तो अब पता चलेगा कि राहुल प्रियंका के जमाने में वह अब कितने बड़े कांग्रेसी हैं। अविश्वास प्रस्ताव के लिए भाजपा को जहां 10 वोट चाहिए वही अपनी कुर्सी बचाने के लिए कांग्रेस को 6 वोट चाहिए। स्थिति कांग्रेस और भाजपा की क्रमशः 5 और 10 की है। ऐसे में तलवार की धार पर चलने की स्थिति बनी हुई है। जरा भी कोई डगमगाएगा तो उसके लिए चूक गए चौहान की स्थिति निर्मित होगी। सबसे पहले तो कांग्रेस के सामने अब यही सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा है कि उसके बचे हुए 5 वोट उसे हासिल हो जाए तो कम से कम सेमीफाइनल मैच वह जीत सकता है और अगर कहीं सामने से एक क्रॉस करने में कामयाब हो गया तब तो फिर बल्ले बल्ले हो जाएगी और वहीं भाजपा अपने 10 वोट को लेकर जहां आश्वस्त है। वहीं भाजपाइयों का मानना है कि हमें एक दो अतिरिक्त वोट भी मिल सकते हैं। दरअसल भाजपा ने कांग्रेस की दो कमजोर कड़ियों को तोड़ने के बाद भरपूर हौसले में है।
अध्यक्ष गिराने से ज्यादा अध्यक्ष बनाने में मशक्कत
अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस का अध्यक्ष गिरा भी दिया जाए तो यह उतनी बड़ी उपलब्धि नहीं होगी जितनी बड़ी उपलब्धि आसानी से भाजपा को अपना नया अध्यक्ष चुनाव जीत लेने में होगी। अभी प्रथम लक्ष्य में तो जो एकता दिख रही है उसमें टूट-फूट की संभावना बहुत कम है क्योंकि कैसे भी करके कांग्रेस का अध्यक्ष हटाया जाए, इसमें एकता बनी रह सकती हैं। पर नए अध्यक्ष बनने के वक्त अलग-अलग सुर और ताल बदल सकते हैं.. जिसका शुरुआती दौर तखतपुर नगर के एक बहुत बड़े समाज के सामाजिक व्हाट्सएप ग्रुप में इन दिनों देखने पढ़ने को मिल रहा है। जो की अगर गंभीर स्वरूप के साथ उठ गया तो भाजपा के लिए प्रत्याशी चयन में ही एक बड़ी चुनौती सामने आ सकती है..
पड़ोसी जिला तर्ज पर अध्यक्ष प्रभार दे दे तो रह जायेगा सम्मान
तखतपुर नगर पालिका अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के आरंभिक दौर से ही अब रणनीतिकारों के द्वारा नए-नए समीकरण तलाशे जा रहे हैं.. इसी बीच में एक नई रणनीति और कूटनीति के तहत एक बात सामने आई उसके तहत यह कहा जा रहा है कि नगर पालिका अध्यक्ष अगर स्वयं से ही असमर्थता या स्वास्थ्यगत कारण बताकर नगर पालिका उपाध्यक्ष या किसी और को भी अध्यक्ष का प्रभार सौंपने के लिए कलेक्टर को पत्र लिखकर दे दे तो वह पद से उतरे या हटाए जाने से भी बच जाएंगे और उनका सम्मान भी बना रहेगा और विपक्षी खेमा जो चाहता है वह भी उसे हासिल हो जाएगा। अगर यह रणनीति चल गई तो सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।