नगर पालिका की भारत माता किसके हाथ सौंपेगी अपने सपनों के नगर को…
सार्वजनिक अवसरों पर अब मेल मुलाकात के बहाने ही सही पर एक दूसरे को तौलने लगे हैं दावेदार
बृजपाल सिंह हूरा..✍️
तखतपुर। नगर पालिका अध्यक्ष का पद अनारक्षित महिला होने के बाद महिलाओं के दरबार में अब पुरुष राजनीतिज्ञों की स्थिति दरबारियों की तरह हो जाएगी, ऐसा इसलिए भी प्रतीत हो रहा है कि.. पुराना युग धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है जब महिलाओं के नाम पर पुरुषों की नेतागिरी चलती थी.. अब तो पढ़ी-लिखी और तेजतर्रार महिलाएं भी राजनीति में सामने आने लगी है जो वास्तविक रूप से खुद को सिद्ध और साबित कर सकती है कि महिलाओं का आरक्षण भी इसीलिए हुआ है ताकि हम आत्मनिर्भर होकर अपने घर सुधार के साथ साथ शहर सुधार का जिम्मा भी अपने हाथों में ले ले..
चूंकि आने वाले दिनों में नगर पालिका चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ चली है और अब तो शादी विवाह पार्टी सार्वजनिक अवसरों पर संभावित दावेदार जब आमने-सामने हो रहे हैं तो भले ही वे हंस कर सहजतापूर्वक मिलते हैं पर दरअसल सही मायनों में वह एक दूसरे के वजूद और राजनीतिक वजन को भी तौलती रहती हैं..
ऐसा ही एक अवसर कल के एक विवाह आयोजन में हुआ जब तखतपुर नगर पालिका में सर्वाधिक समय तक नगर पालिका अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड बनाई श्रीमती सुरेंद्र कौर मक्कड़ अपने साथ अपनी बहू पूजा मक्कड़ को लेकर चल रही थी जो आने वाले चुनाव में एक सशक्त प्रत्याशी हैं.. ऐसे में ही उनका आमना-सामना भाजपा के सशक्त प्रत्याशी वंदना बाला सिंह से हो गया और जिस सहजता से वे अपनत्व भावना के साथ मिल रहे थे ऐसे ही अवसर का एक दृश्य कैमरे में कैद हो गया..
जब सर्वाधिक कार्यकाल नगर पालिका में रखने वाली और तखतपुर में अब तक का सर्वाधिक सर्वविदित ऐतिहासिक विकास कार्य करवाने वाली सुरेंद्र कौर मक्कड़ के दाएं बाएं में दो संभावित प्रत्याशी साथ में थे तो ऐसा लग रहा था कि नगर राजनीति की लेडी भीष्म पितामह या फिर लौह महिला, भारत माता श्रीमती सुरेंद्र कौर मक्कड़ दोनों को ही बराबरी का आशीर्वाद देकर किस्मत आजमाने की चुनौती दे रही थी..
हालांकि पूजा मक्कड़ ने कहा कि सास भी कभी बहू थी और मैं भी वैसे ही बहू बनना चाहती हूं.. इसी दरमियान नगर पालिका अध्यक्ष की एक और प्रमुख दावेदार भाजपा नेत्री श्रीमती सरला बंशी पांड़े भी आ पहुंची और यह तीनों संभावित दावेदार प्रत्याशी चुनाव से पहले हो रहे गर्म वातावरण को अपनी सहजता से ऐसे बता रही थी जैसे महाभारत युद्ध के समाप्ति के बाद दोनों खेमों में एक दूसरे के हाल-चाल पूछे जाने की परंपरा भी थी…
अब देखना यह है कि चुनाव से पहले ही दावेदारी में गर्म हो रहे सियासी फिजाओं को ऐसी मेल मुलाकातें किस हद तक नियंत्रण और कंट्रोल में रख सकेंगे…
तब तक के लिए नारायण नारायण….😊