जनता का पिटारा क्या फिर बड़े चमत्कार से करेगा भौचक्क…
जनता इस बार अपने दोनों हाथों से करेगी नगर सरकार का चयन…
आश्चर्यजनक रूप से भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में है दावेदार…
बृजपाल सिंह हूरा…✍️

तखतपुर। अब की बार एक बार फिर से जनता के हाथ में होंगे दो-दो वोट और जनता भी 5 साल के अपने जनप्रतिनिधियों को चुनने के लिए अपने दो-दो हाथ से नेताओं को ताता थईया कराने का मूड बना चुकी है…

सन् 1999 से 2014 तक नगर पालिका चुनाव में जनता के सीधे वोट से अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया में जनता ने रत्ती मासा तौल तौल कर अपना जहां अध्यक्ष चुना.. वही गली मोहल्ले और घर की छोटी बड़ी प्रशासनिक जिम्मेदारियों का जिम्मा भी उसने अपने मन और विवेक से किया..

4 जनवरी 2020 को हुए पिछले चुनाव में जहां जनता से चुने हुए 15 पार्षदों ने अध्यक्ष का मतदान किया वरना जब-जब जनता के पाले में नगर पालिका के अध्यक्ष का चयन हुआ उसने विधानसभा लोकसभा चुनाव से हटकर ऐसी ऐसी मुहर बाजी की है कि परिणाम के पिटारे से जनता के मतदान का चमत्कार ही बाहर आया है ..

अब जाकर एक बार फिर से नगर पालिका का चुनाव तखतपुर की सियासी धरा पर दस्तक देने को खड़ा है और प्रदेश भाजपा सरकार ने जनता के हाथों में ही अपना अध्यक्ष और पार्षद दोनों चुनने का अधिकार दे दिया है तो जनता भी इस बार अपने दोनों हाथों से तो मतदान कर अपने लिए नगर पालिका का राजा और मंत्री खुद ही चुनने का अधिकार वापस पा लिया है.. जो जनता के लिए काफी उत्साह का वातावरण भी बनाया है।

तखतपुर से लेकर दिल्ली तक जिस तरह से लगातार भाजपा की जनप्रतिनिधियों का ही कब्जा है.. तखतपुर के आधे से ज्यादा कांग्रेस नेता भाजपा खेमे में विधिवत चले गए हैं या फिर बिना ब्याह किए ही वह भाजपा के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं… उसके बावजूद भी नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस खेमे में पता नहीं ऐसा कौन सा उत्साह का वातावरण है कि लगातार नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस खेमे से प्रत्याशियों की ही भीड़ ज्यादा बढ़ती दिख रही है। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी मिली करारी शिकस्त में शायद कांग्रेस के मनोबल को पूरी तरह से तोड़ा नहीं है तभी तो आरक्षण से पहले ही दावेदारों की फौज बढ़ती जा रही है..

हाल फिलहाल में ही नगर पालिका अध्यक्ष पद अनारक्षित होने पर जो नाम तेजी से उभर कर आया है, वह कोई कम चौंकाने वाला नहीं है वह नाम है श्रीमती अनुपमा अभिषेक पांडेय… यह नाम कांग्रेस की राजनीति में कोई नया या अपरिचित नहीं है किंतु जिस तरह से अध्यक्ष चुनाव के लिए यह नाम उभर कर आया है वह किसी परमाणु पोखरण विस्फोट से कम नहीं है.. राजनीति प्रेक्षकों का मानना है कि वार्ड क्रमांक 1, 2, 3 जो भाजपा का इलाका माना जाता है, अगर अनुपमा अभिषेक पांडेय अध्यक्ष के लिए कांग्रेस की प्रत्याशी बनती है तो वह भाजपा की मांद में घुसकर कांग्रेस के लिए वोट निकालने का दम रखती है जो कांग्रेस के लिए बोनस और भाजपा के लिए आपातकालीन संकट की स्थिति खड़ी कर सकती है… इसी तर्ज पर जातिगत समीकरण में अनुपमा अभिषेक पांडेय के पक्ष में अगर ब्राह्मण समाज आ खड़ा होता है तो कहीं ना कहीं से यह भी भाजपा के लिए नुकसान ही साबित होगा… इसके बाद कांग्रेस अगर अपने परंपरागत वोट को समेट कर हुंकार लगाएगी तो कांग्रेस से अनुपमा अपने नाम के अर्थ की तरह उत्कृष्टता के साथ किसी भी बड़े चमत्कार का धांय कर सकती है… इन सब के अतिरिक्त अनुपमा अभिषेक पांडेय का तखतपुर नगर क्षेत्र में अपना व्यक्तिगत इतना विशाल व्यवहार क्षेत्र है कि वह कांग्रेस के लिए एक संजीवनी साबित भी हो सकती है..

इसी क्रम में श्रीमती पूजा मक्कड़ का नाम बिना किसी पहचान मोहताज के ऐसा नाम है.. जिसमें मक्कड़ की गारंटी वाला मैजिक स्पष्ट दिखता है जो जीत की गारंटी में तब्दील होने के लिए किसी समीकरण की मोहताज नहीं है। देवांगन समाज का एक बड़ा वोट बैंक होने के कारण नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष अजय देवांगन एवं नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बिहारी देवांगन कांग्रेस के एक ऐसे प्रत्याशी है जो चुनाव गिनती में कम से कम 2000 मत के अपने सामाजिक विशाल स्कोर के साथ अपनी चुनावी गिनती आरंभ करेंगे।

भाजपा खेमा की बात करें तो अनारक्षित होने की स्थिति में पहला और सर्वमान्य नाम श्रीमती वंदना बाला सिंह का आता है जो किसी भी स्थिति में हर मुकाबला और हर जोर आजमाइश में कहीं भी किसी से भी 19 पड़ने की स्थिति में नहीं दिख रही है। वंदना बाला सिंह के चुनाव लड़ने की स्थिति में तखतपुर नगर का चुनावी बाजार पूरी तरह से गर्म हो जाएगा और कई छोटे-मोटे कलाकार तो तीर तकार में भी नजर नहीं आएंगे..

अनारक्षित की स्थिति में दिनेश राजपूत विवेक पांडेय के अलावा पिछड़ा वर्ग से आने वाले नगर पालिका के दो बार के उपाध्यक्ष रहे बंशी पांड़े का नाम भी सर्वमान्य प्रत्याशी की सूची में शामिल हो सकता है और अगर नगर पालिका अध्यक्ष का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होता है तो बंशी पांड़े एवं कृष्ण कुमार साहू दो ऐसे नाम है जिनमें चयन की स्थिति किसी माथा पच्ची से कम नहीं रहेगी। दोनों ही नेता तखतपुर से लेकर राजधानी तक की एप्रोच लगाने की दौड़ में कहीं भी कम साबित नहीं होंगे।

वहीं कांग्रेस खेमे से नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बिहारी देवांगन बहुत तेजी से आगे दौड़ रहे हैं और बहुत ही कम समय में उन्होंने खुद को मजबूत और गंभीर दावेदार के रूप में जनता के दिलों दिमाग में जगह बनाने आरंभ कर दी है… वही नगर पालिका पूर्व अध्यक्ष अजय देवांगन अपने 5 वर्षीय कार्यकाल और 2009 की ऐतिहासिक जीत का रिकॉर्ड को ही अपना मजबूत आधार बनाए हुए। नगर पालिका में चार वर्षो तक अध्यक्ष रहे मुन्ना श्रीवास का दावा किसी से कम इसलिए भी नहीं है क्योंकि उन्हें अपने चार वर्ष के कार्यकाल पर विश्वास होने के साथ-साथ जिस तरीके से सत्ता को प्रभाव में लेकर उन्हें हटाया गया है तो उनका मानना है कि जनता के बीच उनके प्रति काफी सहानुभूति है और पुष्पा 2 की तरह उनकी जोरदार एंट्री हो सकती है।

जिला पंचायत दो बार तगड़ा चुनाव जीते हुए कांग्रेस के टाइगर माने जाने वाले जितेंद्र पांडेय जी भी अपनी मजबूत और सशक्त दावेदारी अनारक्षित होने की स्थिति में रहेगी… अनारक्षित होने की स्थिति में कांग्रेस से मक्कड़ समूह की तरफ जनमानस की नजरे जमी हुई है हालांकि राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि कांग्रेस वाले ही इन्हें कांग्रेस की टिकट लेने में टंगड़ी मारते हुए अड़चन बाधा पैदा कर इन्हें रोकेंगे.. हालांकि मक्कड़ समूह अभी कोई भी प्रतिक्रिया जाहिर नहीं कर रहे हैं और वह सिर्फ आरक्षण की स्थिति ही देख रहे हैं
अब देखना यह है कि लगभग सप्ताह भर के भीतर ही आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो जाने पर जो बवंडर टिकट के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों में उठेगा.. उस भंवर जाल से निकलकर किसकी तकदीर जनता के दरबार में जाने के लिए जागेगी..
तब तक के लिए नारायण नारायण….😊
