नगर पालिका के तीर से निकल सकती है विधानसभा की भावी तस्वीर..

नगर पालिका के तीर से निकल सकती है विधानसभा की भावी तस्वीर..

नपाध्यक्ष के दिग्गज दावेदार, पद पाते ही बन जाएंगे राजनीति के बड़े कलाकार

बृजपाल सिंह हूरा..✍️

तखतपुर। नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव के लिए अभी आरक्षण तय नहीं हुआ है पर जिस तरह से धांसू दिग्गज जोशीले चेहरे सामने आ रहे हैं उनमें से जिसे भी नपाध्यक्ष बनने का अवसर हासिल होता है तो निश्चित रूप से वह आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भी एक प्रबल दावेदार बन सकता है…

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के साथ हेलीकॉप्टर में वंदना बाला सिंह

    जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी में वंदना बाला सिंह की धुंआधार तैयारी बहुत सधे सटीक और वंदे भारत रफ्तार से चल रही है और अगर इनका फेंका हुआ तीर सही निशाने पर लग गया और प्रथम नागरिक का दर्जा हासिल कर लिया तो निःसंदेह रूप से यह आगामी चुनाव में एक प्रबल दावेदार बनकर स्वमेव ही उभरने लगेंगी… क्योंकि यह जहां मायके पक्ष में डॉक्टर रमन सिंह जी परिवार की नजदीकी है, वही ससुराल पक्ष इनका मध्यप्रदेश जमाने से विधानसभा स्तरीय राजनीति के काफी निकट है…

      इसी तरह कांग्रेस से श्रीमती पूजा आत्मजीत मक्कड़ अगर नपाध्यक्ष की कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता में सभी गच्चा देने में कामयाब हो जाती है तो वे भी आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से एक प्रबल दावेदार स्वाभाविक इसलिए भी बन जाएगी क्योंकि पूजा मक्कड़ के घर परिवार से एक बार विधायक बनने और तीन बार नगर पालिका अध्यक्ष बनने का ग्लैमर भरा अनुभव शामिल है.. साथ ही संभवत 2028 में 33% महिला आरक्षण बिल का तड़का लागू हो जाए और तखतपुर सीट महिला के लिए आरक्षित भी हो सकती है। ऐसे में नपा अध्यक्ष बनने के बाद इन्हें भी एक ऊंची उड़ान का मौका मिल सकता है…

    भाजपा से दिनेश राजपूत जिस तीव्रता से अपनी राजनीतिक स्पीड को बढ़ाएं हुए है ऐसे में इन्हें अगर इन्हें मेयर बनने का मौका मिल गया तो इनके तो राजनीतिक संपर्क भी काफी ऊंचे और तगड़े हैं। ऐसे में खुद इनकी इनोवा ही हेलीकॉप्टर बनकर विधानसभा क्षेत्र में उड़ने लगेगी…

     कांग्रेस से ही सामान्य वर्ग से अगर जिला पंचायत के दबंग नेताजी जितेंद्र पांडेय को नगर पालिका अध्यक्ष का मौका मिल गया तो यह पूरे मैदान में अपनी पौ-बारह करने में कामयाब होंगे और विधानसभा की आगामी दौड़ में एक बड़ा चेहरा साबित हो सकते हैं क्योंकि इनके पास ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र का चुनावी राजनीति का खासा अनुभव रहेगा। इन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी के रूप में भी जाना जाता है।

     पिछड़ा वर्ग के कृष्ण कुमार साहू और बंशी पांड़े भी नपा अध्यक्ष की दौड़ में भाजपा खेमे से सबसे आगे चल रहे हैं.. इन्हें भी नगर पालिका अध्यक्ष का अगर प्लेटफार्म मिलता है तो यह बड़े स्तर के चुनाव के लिए अच्छे से अच्छा हवाई जहाज हाईजैक करने का दम रखते हैं… बंशी पांड़े को उपमुख्यमंत्री अरुण साव जी का काफी नजदीकी माना जाता है तो कृष्ण कुमार साहू को अरुण साव जी के साथ-साथ केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू जी से भी काफी नजदीकी रिश्तेदारी का संबंध रखते हैं।

    पिछड़ा वर्ग से ही कांग्रेस में अजय देवांगन बिहारी देवांगन की रफ्तार तेज है बिहारी अगर अध्यक्ष बनते हैं तो विधायक की दावेदारी में तो आगे जाना संभव नहीं है पर वे अपनी ही पार्टी के किसी बड़े लीडर को अपना कंधा देकर ऊपर उठाने में मदद अवश्य कर सकते हैं

किंतु अजय देवांगन पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं और दूसरी बार कहीं अध्यक्ष बन जाते हैं तो उनकी दावेदारी भी विधानसभा स्तर से कम नहीं रहेगी।

      पिछड़ा वर्ग से कांग्रेस में मुन्ना श्रीवास की भी दावेदारी किसी से कम इसलिए नहीं है क्योंकि वे पूर्व संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह के जहां सबसे विश्वसनीय और करीबी माने जाते हैं। वहीं बहुत बड़ी इनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा ना होते हुए बड़े नेताओं के विश्वास में यह आ सकते हैं और एक बार फिर से नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में इन पर दांव खेला जा सकता है…
           अब देखना यह है कि नगर पालिका अध्यक्ष के दावेदारी की भीड़ में धुरंधरों की रेस में विधाता ने किसके भाग्य में नगर पालिका सरताज बनने का तड़का लगाया हुआ है….
             तब तक के लिए नारायण नारायण….😊

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