नगर पालिका चुनाव निर्धारित अवधि पर होने की संभावना क्षीण..
पिछली बार 27 सितंबर को वार्डों के घोषित आरक्षण का इस पंचवर्षीय में दूर-दूर तक अता पता नहीं..
नगर पालिका चुनाव की पद्धति क्या होगी, अभी तक वह भी तय नहीं..
वार्डों के परिसीमन का निर्धारण नहीं, नवीन मतदाता सूची नहीं रही बन…
बृजपाल सिंह हूरा..✍️

तखतपुर। नगर पालिका चुनाव को लेकर भले ही जमीनी स्तर के चुनावी नेता लोग मॉर्निंग वॉक टी ☕ से लेकर इवनिंग टेबल बाजी 🥃 की कसरत आरंभ कर दिए है पर सरकारी खबरबाजी पर ऐसी कोई भी ठोस गतिविधियां नहीं दिख रही है जिसमें लगे कि नगर पालिका चुनाव का अलार्म मुर्गे की बांग की तरह बज चुका है और अब चुनाव की सुबह हो चुकी है और उठकर तैयार हो जाओ.. अब बेचारे चुनावी नेताओं को रातों में भी नींद ठीक से आ तो रही नहीं है और सुबह भी बगैर मुर्गे की बांग सुने हुए ही अलसाई मुद्रा में हर नई सुबह के साथ नगर पालिका चुनाव को लेकर होने वाली मिलने वाली नई सूचना का इंतजार करने लग जाते हैं और एक बार फिर से हताशा और निराशा इस बात पर आती है कि देश की ट्रेन व्यवस्था की तरह ही अब नगर पालिका चुनाव भी किस प्लेटफार्म पर किस समय आएगी उसका पता भी लगता है अब ऐन वक्त पर ही चलेगा…
“वन नेशन वन इलेक्शन” नारे की शुरुआत हो सकती है..

पीएम मोदी की तैयारी है कि वन नेशन वन इलेक्शन का फार्मूला पूरे देश में लागू किया जाए.. इसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ सरकार भी शायद केंद्र की योजनाओं को फॉलो करने की दिशा में आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव को एक आचार के तंबू के तहत करा कर पूरे देश का ध्यान पीएम के इस महत्वपूर्ण सपने को साकार करने की दिशा में की गई पहल पर आकृष्ट कर सकता है। आमतौर पर छत्तीसगढ़ में दिसंबर में नगरीय निकाय और फरवरी माह में पंचायत चुनाव होते आ रहे हैं जिस वजह से दो बार लगने वाली आचार संहिता से सरकारी कामकाज प्रभावित होता है तो लोगों का ऐसा मानना है कि शायद छत्तीसगढ़ में दोनों चुनाव को एक साथ कराए जाने की पहल की अनुशंसा की जा सकती है और उस आधार पर अगर अगर ऐसा सोच सही साबित हुआ और उसको अमल भी किया जाता है तो संभवत: नगरीय निकाय चुनाव फरवरी में हो सकते हैं क्योंकि पंचायत का कार्यकाल फरवरी तक चलेगा..
चुनावी लुटेरों की दिवाली रह सकती है सूनी..

नगर पालिका चुनाव नवंबर दिसंबर में संभावना मानकर चलने वाले कई चुनावी लुटेरे तो यही मान कर चल रहे थे कि इस बार दीपावली चुनावी ता.. ता.. थईय्या.. करने वाले गली मोहल्ले के नेताओं के माध्यम से ही मन जाएगी, पर जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है और नगर पालिका चुनाव का सायरन भी सुनाई नहीं दे रहा है तो ऐसे में चुनावी लुटेरों के मन में हताशा और डिप्रेशन के भाव भी जागृत हो रहे हैं..
सवाल आपसे..?

👉 पटाखा बाजी के धूम धड़ाम से क्या कांग्रेस के एक और विकेट के रन आउट हो जाने की टिकिट बर्थ कन्फर्म मान ली जाए…?
👉 तेरा क्या होगा रे कालिया! सरकार मैने गोपनीय ढंग से आपका खूब गुण गाया है.., तो अब खुलकर सदस्यता का चूरन खा…😆 यह चर्चित चुटिला संवाद मास्क बनकर किस किस परंपरागत राजनीतिक चेहरों में फिट प्रतीत होता है..?

अब देखना यह है कि चुनावी नेताओं के भारी मंथन से निकले प्रसाद में किस-किस को अमृत और किस किस को विष ग्रहण करना पड़ेगा…
तब तक के लिए नारायण नारायण…😊



