नगर राजनीति के सूरमा अब जाग रहे हैं अपनी नींद से..

नगर राजनीति के सूरमा अब जाग रहे हैं अपनी नींद से..

आरक्षण घोषित होते ही कई धुरंधर निकलेंगे अपने अपने मांद से..

बृजपाल सिंह हूरा…✍️

तखतपुर। नगर पालिका अध्यक्ष पार्षद का अभी आरक्षण लागू नहीं हुआ है.. बावजूद इसके नगर क्षेत्र की राजनीति की तपिश सावन के बरसते ठिठुराते मौसम के बाद भी बढ़ चली है और जिसकी गर्माहट से नगर राजनीति संबंधित कई चेहरों के भीतर चुनावी कीड़ा कुलबुलाने लगा है.. जिससे दलीय दावेदारों की लाईनें राशन दुकान की तरह बढ़ती ही जा रही है।


      नगर पालिका अध्यक्ष पद हेतु आरक्षण में लॉटरी निकलने से जहां कईयों के बल्ब दिन दहाड़े फ्यूज हो जायेंगे, वहीं कईयों के लिए तो घर बैठे ही बल्ले-बल्ले का माहौल बन सकता है। नगर पालिका अध्यक्ष हेतु आरक्षण में हर किसी के लिए चुनावी मैदान के द्वार खुले होने की खबर कही तय हो गई तो नगर राजनीति में एक भगदड़ सी मच जाएगी। राजनैतिक महत्वाकांक्षा का तो ये आलम है कि वार्ड में पार्षद हेतु जमानत ना बचा सकने की हैसियत रखने वाले टपोरी छाप नेता भी सीधे अध्यक्ष का ताज सिर पर रखने का दावा चौक-चौराहों पर करने लग गए है…

अध्यक्ष चुनाव में निकलेगी शंकर जी की बारात…

        आरंभिक तौर पर आरंभ हुए इस राजनैतिक सनक भरी ड्रामेबाजी का लुत्फ उठाने के लिए नगर के कुछ मसखरे और ठलहा छाप लोग भी सक्रिय हो गए है.. अध्यक्ष आरक्षण के अगले पल से ही नगर राजनीति को लेकर तो यही माना जा रहा है कि सियासी कीड़ें के दंश का शिकार हुए पीड़ितों की एक बड़ी संख्या नगर में दिखाई देने वाली है.. तखतपुर नगर पालिका अध्यक्ष का पद अगर अनारक्षित घोषित हुआ तो इतना मान कर चलिए की अध्यक्ष चुनाव के लिए फिर तो शंकर जी की बारात ही निकलेगी… जिसमें शामिल होने के लिए लोग अपनी अपनी राजनैतिक कुम्भकरणीय नींद से जागते हुए अपनी-अपनी मांद से अंगड़ाई लेते हुए बाहर निकलकर नगर सियासी धरा पर अपनी मौजूदगी के साथ कथित राजनैतिक वर्चस्व के दावों की ताल ठोकते दिखने वाले है।

इन सबके बीच एक बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी रहेगी जो नगर राजनीति में सिर्फ अपना दावा मात्र ही प्रस्तुत करके खुद को नगर राजनीति का तुर्रमखां साबित करना चाह रहे है। इनके बारे में तो यह भी दावा किया जा रहा है कि अगर इन्हें चुनाव का टिकिट घर पहुंचाकर भी दिया जाए तो ये किसी ना किसी बहाने से चुनावी मैदान से भाग खड़े होंगे…

सियासी मदारियों के डमरु पर नाचेंगे जमुरे..

    नगर पालिका चुनावी बागड़बिल्लों और खिसयानी बिल्लियों की निगाहें अध्यक्ष, वार्ड आरक्षण पर जमी हुई है, इसी के बाद ही नगर राजनीति का बिगुल बजने लगेगा.. परिसीमन पर लगा हुआ पेंच हटने के बाद 15 वार्डों में ही चुनाव होगा। 5 साल तक वार्ड वासियों को तमाशे के बंदर के रूप में नचवाने वाले लोगो का खेल भी अब सियासी मदारियों के डमरु पर आरंभ होने वाला है और इसमें नाचने वाले जमूरे बंदरों का तमाशा भी वार्ड वासी इस बार खूब चटखारे लेकर देखने वाली है..

तखतपुर नगर पालिका चुनाव में प्रधानमंत्री का रहेगा प्रभाव..?

    देश के सबसे बड़े चुनाव में जब प्रधानमंत्री के नाम पर ही चुनाव पूरी तरह से केंद्रीय कृत रहा तो ऐसे में तखतपुर नगर पालिका चुनाव हो और प्रधानमंत्री का जिक्र ना हो यह संभव नहीं… तखतपुर नगर पालिका चुनाव में मुद्दे तो बहुत रहेंगे पर सबसे ज्यादा प्रभावशाली मुद्दा प्रधानमंत्री आवास योजना का रह सकता है… पूरे 5 साल की तखतपुर नगर की राजनीति सिर्फ इसी मुद्दे पर पक्ष विपक्ष होती रही कि प्रधानमंत्री आवास में पसंदीदा हितग्राहियों के खाते में पैसा डलवाने में किस पार्षद की सबसे ज्यादा चली है और पूरे 5 साल विकास के नाम पर प्रधानमंत्री आवास योजना ही प्रमुखता से छाया रहा तो स्वाभाविक रूप से उसका प्रभाव/दुष्प्रभाव और असर आगामी चुनाव में भी दिखेगा.. अब प्रधानमंत्री आवास योजना किस-किस की नैया पार लगाएगा यह तो भविष्य के गर्भ में है पर अभी तो हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि तखतपुर नगर पालिका चुनाव में भी प्रधानमंत्री की गूंज रहेगी..

सवाल आपसे…?

👉  इस खबर में कितनी सच्चाई है कि तखतपुर नगर क्षेत्र में जितने कच्चे मकान नहीं है, उसे दो गुना ज्यादा प्रधानमंत्री आवास में पक्के मकान बन चुके हैं.. इसके बाद भी कच्चे मकान की संख्या की एक बड़ी सूची अभी भी पक्के मकान का ख्वाब देख रही है..?

       अब देखना यह है कि नगर पालिका चुनाव को लेकर परिसीमन की नाकाबंदी और आरक्षण का लोभान किस-किस की राजनीति का उफान लायेगा और किस-किस की राजनीति को स्वाहा करेगा..?
    तब तक के लिए नारायण नारायण…😊

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