कौन होगा मुकीम अंसारी का विकल्प…?
पुरानी विरासत की नई पीढ़ियां सामने आएंगी…?
या फिर कांग्रेस नया माइंड गेम खेलेगी…?
बृजपाल सिंह हूरा…✍️

तखतपुर। वार्ड क्रमांक 6 से मुकीम अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान ने जहां कांग्रेस को एक पकी पुकाई सीट का जबरदस्त झटका दिया है… वही मुकीम अंसारी जैसे दिग्गज के रहते कांग्रेस से कई लोगों की इस वार्ड में चुनाव लड़ पाने की दाल नहीं गल पा रही थी… कांग्रेस के प्रति बहुत ही गंभीर सोच रखने वाले जहां मुकीम अंसारी के इस फैसले से दुखित और व्यथित हैं और कोशिश की जा रही है कि अंतत: उन्हें राजी कर लिया जाएगा पर मुकीम अंसारी के अपने फैसले पर सख्त रहकर यह दर्शा दिया है कि वह अपने फैसले पर अडिग ही रहेंगे.. वही देश की आजादी के बाद से यहां से पार्षद बना सकने को तरस गई भारतीय जनता पार्टी को इस बार उम्मीद की एक किरण नजर आई है…
कुछ लोगों का मानना है कि मुकीम अंसारी पर निरंतर भाजपा प्रवेश का दबाव बनाया गया है… उन्होंने भाजपा प्रवेश तो नहीं किया पर यह फैसला लेकर कहीं ना कहीं भाजपा को अपनी अनुपस्थिति पर लाभ प्राप्त कर लेने का अवसर अवश्य दिया… इन सब के बीच मुकीम अंसारी के फैसले के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि दावेदारों की लंबी सूची तैयार हो गई…

इस वार्ड से शब्बीर भाई वनक, कृष्णा देवी अग्रवाल, स्व. हरबंस सिंह बग्गा टिक्कू पार्षद के रूप में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.. वहीं अब उनके ही वंशज के साथ-साथ नए दावेदारों की भी लाइन शुरू हो गई है… खबरों के मुताबिक शब्बीर भाई वनक के पुत्र मुस्तफा वनक ने यहां से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है तो निश्चित रूप से वह एक कामयाब और सफल विजेता युवा नेता बनकर सामने आ सकते हैं..

इसी क्रम में कुछ लोगों का यह तर्क भी है कि अगर हरबंस सिंह बग्गा टिक्कू जी के अंतिम चुनाव कि इस विरासत को अगर उनके पुत्र परमीत सिंह बग्गा संभाल सके तो वह भी एक मजबूत कैंडिडेट होंगे क्योंकि हिंदू वर्ग का वोट पाने के साथ-साथ उन्हें मुस्लिम वर्ग का एकतरफा समर्थन मिल सकता है जो की उनकी मजबूत दावेदारी को प्रस्तुत करेगा.. हालांकि परमीत बग्गा की तरफ से इस तरह का कोई भी स्टेटमेंट या दावेदारी नहीं जताई गई है, यह सिर्फ सियासी पंडितो के विचार है..

अब चलते हैं पुराने कई मंसूबा पाले दावेदारों की तरफ तो उनमें आकिल रिजवी और अजमत नट्टू जायसी दो ऐसे कांग्रेस के दावेदार हैं जो वर्षों से यहां पार्षद लड़ने का मंसूबा पाले हुए हैं…

पर रायपुर दक्षिण के बृजमोहन अग्रवाल की तरह अंगद का पांव जमा कर बैठे मुकीम अंसारी के सामने किसी की दाल नहीं गल रही थी..

वही कुछ लोगों का मानना है कि मुकीम अंसारी अपने कट्टर समर्थक राकेश मंदानी को अपनी चुनावी विरासत सौंप सकते हैं.. ऐसे में राकेश मंदानी भी एक मजबूत कैंडिडेट साबित होंगे..

वही नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बिहारी देवांगन का मानना है कि नए युवा फ्रेश करीम कुरैशी को वह ऐन मौके पर चुनाव मैदान में उतार कर तुरुप का इक्का साबित करने का दम रखते हैं.. लेकिन दबी जुबान में कुछ लोग अभी भी यह तर्क लगा रहे हैं कि मुकीम अंसारी जी अंतिम क्षणों में अपने इमरती जलेबी को भी सामने ला सकते हैं….
अब देखना यह है कि दावेदारों की इस फौज में मुकीम अंसारी के विकल्प के रूप में कांग्रेस किस पर अपना दांव खेलेगी..
तब तक के लिए नारायण नारायण….😊
