नगर पालिका चुनाव की बिसात पर बिछने लगे है मोहरें…
अध्यक्ष से लेकर पार्षद तक सभी अपनी जमीन पर ठोकने लगे हैं ताल..
सितंबर आरंभ में आरक्षण तस्वीर साफ होने की संभावना..
बृजपाल सिंह हूरा..✍️
तखतपुर। नगर पालिका चुनाव का शंखनाद भले ही नहीं हुआ है पर नगर के नेता कलाकारों की तैयारी अपनी अपनी फिल्म को बंपर सुपरहिट करने के लिए आरंभ हो गई है। तगड़ी स्क्रिप्ट के साथ गीत संगीत से भरपूर मसालेदार तैयारी के साथ हर कोई मैदान में उतरने के लिए जूता मोजा से लेकर चश्मा दास्ताने तक चढ चुका है। पिछड़ा वर्ग से संबंधित लोगों को वार्ड चयन में कोई खास परेशानी नहीं है.. सामान्य वर्ग से आने वाले दावेदार ही मुख्य रूप से आरक्षण का इंतजार कर रहे हैं..
सेटिंग की संभावना इस बार कम…
भाजपा और कांग्रेस दोनों तरफ से इस बार सेटिंग वाला मुकाबला ना कर वास्तविक चुनावी दंगल करने का मूड दिख रहा है.. वरना तखतपुर नगर पालिका के अब तक के चुनाव में शेर के आगे में शेर को उतारने की परंपरा बहुत कम अवसरों पर देखने को मिली है.. जिस वजह से कुछ चेहरे नियमित और निरंतर चुनाव जीतते आ रहे हैं लेकिन अभी जो खबर सुनने को मिल रही है उस आधार पर नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जिसकी पूर्ण संभावना है कि प्रत्यक्ष प्रणाली यानी कि आम मतदाताओं के वोट से होगा ऐसे में अगर अध्यक्ष का पद सामान्य हो जाता है तो एक बहुत बड़े मुकाबला की संभावना जताई जा रही है जो नगर पालिका अध्यक्ष का ही नहीं तखतपुर विधानसभा के आने वाली राजनीति की नई तस्वीर को सामने लाएगा… माना जा रहा है कि अध्यक्ष का पद सामान्य होने की स्थिति में लड़ झगड़ कर ही सही पर कांग्रेस से मक्कड़ खेमा इस बार पूजा आत्मजीत मक्कड़ के लिए टिकट लेकर ही आएगा और इनका पैनल पूरे दमदारी से हर 15 वार्ड में ताल ठोकेगा… कांग्रेस से प्रबल दावेदार में नगर पालिका पूर्व अध्यक्ष अजय देवांगन, नगर कांग्रेस अध्यक्ष बिहारी देवांगन भी है जिन्हें शायद कांग्रेस पिछड़ा के लिए आरक्षित होने पर इस्तेमाल कर सकती है। वही भारतीय जनता पार्टी की ओर से ऐसी स्थिति में कड़ी टक्कर देने के लिए वंदना बाला सिंह ही ऐसी सशक्त प्रत्याशी होगी जो साम दाम दंड भेद के हर मुकाबले में ईट का जवाब पत्थर से देने के लिए सक्षम है। सामान्य वर्ग की स्थिति में भाजपा से दिनेश राजपूत विवेक पांडेय भी मुकाबला के लिए तैयार हैं। हालांकि कृष्ण कुमार साहू बंशी पांड़े भी ऐसे मजबूत नाम है जो नगर पालिका अध्यक्ष के लिए ताबड़तोड़ प्रदर्शन कर सकते हैं पर पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक आरक्षण में पिछड़ा वर्ग होने पर ही यह दोनों नाम में से एक फाइनल किया जाएगा।
कांग्रेस के वार्डों में सेंधमारी की है तैयारी
भारतीय जनता पार्टी वार्डों में भी वार्ड क्रमांक 4, 5, 6, 12, 15 को विशेष टारगेट में लेकर चुनाव की रणनीति बना रही है.. माना जा रहा है कि इनमें कई अवसरों पर कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशियों के समक्ष भाजपा द्वारा कमजोर प्रत्याशी उतारा जाता है.. खबर तो यह भी है कि आपसी सेटिंग में ही कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशियों को भाजपा द्वारा कमजोर और भाजपा के मजबूत प्रत्याशियों को कांग्रेस द्वारा कमजोर प्रत्याशी देकर चुनिंदा दिग्गजों की टीम को नगर पालिका पहुंचने की राह आसान किया जाता है पर जिस तरह से अभी भारतीय जनता पार्टी के सुर अंदाज और तेवर बदले हुए हैं उसमें तो यही माना जा रहा है कि
वार्ड क्रमांक 4 में इस बार आसान रास्ता ना देते हुए टेकचंद कारडा के खिलाफ किशन सचदेव दिलीप तोलानी या अमित मंदानी को उतार कर भाजपा कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ने की तैयारी में है.. वहीं नए परिसीमन में शिप्रा संकेत सैमुअल भी भाजपा की जीत का परचम लहराने के लिए अनुकूल प्रत्याशी साबित हो सकते हैं। वार्ड 5 के पिछले परिणाम को नजरअंदाज कर दे तो यहां कांग्रेस का ही पलड़ा भारी रहा है.. अगर कांग्रेस यहां संदीप खांडे पर दांव खेलती है तो मुकाबला रोचक और कांटे का रह सकता है वरना इस बार फिर से नरेंद्र रात्रे जीत के प्रति आशान्वित दिख रहे हैं..
इसी क्रम में वार्ड क्रमांक 6 में भी अंदरूनी तौर पर यह तैयारी है कि 20 साल के पार्षद मुकीम अंसारी के खिलाफ भाजपा किसी कट्टर हिंदूवादी नेता को मैदान में उतार कर मुकीम अंसारी के लिए स्पीड ब्रेकर तैयार करने की तैयारी में है जिसमे कोमल सिंह ठाकुर विवेक पांडेय और अनिल सिंह ठाकुर का नाम सुनाई पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में वार्ड क्रमांक 6 का चुनाव बहुत ही दमदार रोचक और रोमांचक स्थिति में पहुंच सकता है।
वार्ड 9 में कांग्रेस के राजवीर हूरा को मजबूत प्रत्याशी मानते हुए भाजपा उन्हें घेरने के लिए अंकित अग्रवाल गुलजीत खुराना या बंशी पांड़े को रोमांचक मुकाबले के लिए मैदान में उतार सकती है.. 5 साल से अपनी हार से खखवाये बैठे बिहारी देवांगन की अंदरूनी तौर पर वार्ड 8 से बहुत तगड़ी तैयारी है जिसे भांपते हुए भाजपा उनके खिलाफ ईश्वर देवांगन अश्विनी शिव कैलाश तिलक देवांगन पर बड़ा गेम खेल सकती है। हालांकि वार्ड क्रमांक 8 का परिसीमन बिहारी देवांगन के लिए फिलहाल तो वरदान ही साबित हुआ है। वार्ड 13 भले ही भाजपा का गढ़ माना जाता है पर पिछले चुनाव में पूजा संजय बबलू गुप्ता ने शिकस्त खाकर भी बहुत ही नजदीकी कड़ी टक्कर दी थी जिसे देखते हुए माना जा रहा है सामान्य होने की स्थिति में अगर यहां से कांग्रेस से संजय बबलू गुप्ता मैदान में उतरते हैं तो भाजपा अपने नए चेहरे गजेंद्र गुप्ता पर दांव खेल सकती है वरना अध्यक्ष न लड़ने की स्थिति में कृष्ण कुमार साहू बंशी पाड़े यहां के अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर सकते है। वार्ड 12 कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है यहां से भाजपा इस बार किसी जमीनी नेता को उतार कर कांग्रेस की कुर्सी हिलाने के मूड में है.. इसी तरह वार्ड 15 में भी कांग्रेस के मुन्ना श्रीवास की मजबूत जमीनी पकड़ को हिलाने में अब तक नाकामयाब रही.. भाजपा इस बार नई रणनीति बना सकती है पर वहां नई रणनीति की स्थिति दिख तो नहीं रही है.. पुरानी रणनीति को ही नया रंग रोगन करके टक्कर की स्थिति बनाई जा सकती है..!
भाजपा के मजबूत वार्डों में कांग्रेस तलाश रही विकल्प..
वहीं वार्ड क्रमांक 1, 2, 3, 7, 10, 11, 14 में भाजपा की मजबूत स्थिति के खिलाफ कांग्रेस का दमदार ठोस प्रत्याशी कम ही नजर आ रहा है। जबकि कांग्रेस खेमे का कहना है कि वार्ड 1 से लेकर पूरे 15 तक कांग्रेस इस बार अपने सबसे तगड़े और दमदार चेहरों को ही मैदान में उतारने के लिए बारूदी सुरंग बिछा रही है.. जबकि भाजपा में अध्यक्ष का टिकट न मिलने की स्थिति में दिनेश राजपूत और विवेक पांडेय भी वार्ड क्रमांक 1, 2, 3 के लिए भाजपा के सशक्त उम्मीदवार हो सकते हैं।
फिर सुनाई दे सकते हैं झड़ी और झक्कड़…
खबर तो यह भी है कि भाजपा खेमा इस बात को लेकर आशान्वित है कि तखतपुर कांग्रेस नेतृत्व किसी भी स्थिति में मक्कड़ को अध्यक्ष का टिकट नहीं लेने देंगे.. जिससे कांग्रेस का परचम कमजोर साबित होगा। इसी बात के आधार पर भाजपा अपनी आसान जीत को लेकर आशान्वित है पर पुराने इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो ऐन मौके पर टिकट से वंचित मक्कड़ ने भी गिलास उठाकर जब तखतपुर वासियों को चियर्स किया तो एक बहुत बड़ी मतदाता संख्या ने उनके गिलास के सुर पर ही अपनी ताल बजा कर भाजपा कांग्रेस को भूल गए थे..
कुल मिलाकर अगर अध्यक्ष दावेदार तगड़ा और मजबूत हुआ तो उसकी लहर आंधी में कई लोगों की नैया वैसे ही पार लग जाएगी.. जैसे मोदी लहर में कई लोग हर-हर गंगे हो जाते हैं..
अब देखना यह है कि समय पूर्व ही तैयार किया जा रहे समीकरण के खाखे चुनावी जीत हार के द्वार तक किस हद तक पहुंच पाते हैं...
तब तक के लिए नारायण नारायण…😊