हर्षिता पांडेय ने राजनीति की एक नई परिभाषा के साथ नए अध्याय, नए युग का किया शुभारंभ..
तखतपुर (बृजपाल & ललित) राजनीति में जब सत्ता पॉवर संगठन की गर्मी मिलती है तो इस गर्मी से तपा हुआ व्यक्ति खुद को पार्टी संगठन से बड़ा समझने लगता है और उसे यह भ्रम हो जाता है कि पार्टी उससे है, वह पार्टी से नहीं…. इसी हिमाकत में कई लोगों ने अपने राजनीतिक कैरियर का ही सत्यानाश कर लिया तो वहीं कई लोग आज भी अपनी उस ग्लैमराइज्ड पोजीशन को पाने के लिए तड़फड़ा रहे हैं… पर वह कहते हैं ना की वक्त को चुनौती देने की हिमाकत करने वालों को फिर वक्त भी कभी माफ नहीं करता है…
तखतपुर भाजपा की राजनीति में एक बारगी लोगों को लगने लग गया था कि भाजपा टिकट से वंचित हर्षिता पांडेय अपने तेज तर्रार स्वभाव के अनुरूप कोई न कोई चूक और गलती करेगी और उनके विरोधी खड़े होकर मजा लेकर तमाशा देखेंगे… पर सैल्यूट है हर्षिता पांडेय जी को जिसने दिल पर खाए जख्मो की झलक भी अपने व्यवहार और चेहरे पर झलकने नहीं दिया और बल्कि यह साबित कर दिया कि वह वाकई में जनसंघ के दौर के दिया जलाने वाले तखतपुर के पांच बार के विधायक मनहरण लाल पांडेय की बेटी है.. जिसके रग रग में पार्टी के प्रति वफादारी निष्ठा और ईमानदारी की महक है और आज तो उसने तखतपुर की राजनीति में एक नया अध्याय लिख दिया जो आने वाली राजनैतिक पीढ़ियों के लिए एक बहुत बड़ा राजनीतिक आदर्श की प्रस्तुति होगी।
जिस हर्षिता पांडेय को 2018 में जिस भी वजह से हार का सामना करना पड़ा, उसके बावजूद कांग्रेस की सरकार में संघर्ष करते हुए पूरे 5 साल तक तखतपुर में भाजपा का झंडा ऊंचा रखा और एक बार टिकट की दावेदारी में जब शिकस्त खा गई पर महिला होकर भी आम लोगो की तरह टिकट कटने का रोना गाना या फिर बगावती भड़ास का दामन नहीं थामा.. बल्कि जिस तलवार से उसकी राजनीतिक आकांक्षा पर वार कर उसे जख्मी किया गया। उसने उस तलवार को ही थाम कर उस मंच से पार्टी के जय जयकार के जिस अंदाज में नारे लगाए… वाकई में देखकर लगा कि शायद हमारे भारत देश में इसलिए ही नारियों को एक शक्ति के रूप में पूजा जाता है….!
तखतपुर भाजपा प्रत्याशी धर्मजीत सिंह जी के कार्यालय उद्घाटन मंच से अपने उद्बोधन के दौरान हर्षिता पांडेय ने एक बार भी महसूस नहीं होने दिया कि कुछ दिन पहले ही उसकी टिकट कटी है और वह इस मंच से सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के लिए वोट मांग रही है… कोई खुलकर कहे या ना कहे पर हर दिल में आज यह बात तो आई ही होगी कि वाकई में इस पुरुष प्रधान समाज में नारी के लिए शायद इसलिए ही पूज्यनीय का स्थान सुरक्षित रखा गया है.. अब इन्हें शक्तिशाली महिला कहूं या लौह महिला.. पर मैने अब तक के अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से इतनी बहादुर महिला से आज पहली बार रूबरू हुआ हूं… जी हां एक सशक्त हर्षिता को मैने आज प्रत्यक्ष देखा है.. लेखक यह नहीं जानता कि इनका राजनीतिक भविष्य कैसा रहेगा पर इनके लिए यही शुभकामना है कि हो सकता है भगवान ने इनके लिए कुछ बहुत अच्छा और कुछ ज्यादा सोच कर रखा होगा..
तब तक के लिए नारायण नारायण..😊