तखतपुर विधानसभा का कौन होगा अगला भाग्य विधाता..?

तखतपुर विधानसभा का कौन होगा अगला भाग्य विधाता..?

3 दिसंबर को किसकी कुंडली चमकेगी और किसकी कुंडली पलटेगी..? अपने ही दिए मतों के फैसले के इंतजार में है लोग

तखतपुर विधानसभा चुनाव में दो दिग्गज राजनीतिज्ञों के बीच का महासंग्राम नि:संदेह रूप से बहुत ही कड़े मुकाबले के दौर पर आकर थमा है और जनता द्वारा दिया गया जनादेश ईवीएम में लॉक हो गया है। मतदाताओं के ज्ञान विवेक पर अगर पूरा भरोसा किया जाए तो उन्होंने अपने हक में जिस नेतृत्व को चुना होगा इसका फैसला 3 दिसंबर को घोषित हो जाएगा। 
      अब जो बात देखने को मिल रही है वो यह कि धर्मजीत सिंह एवं रश्मि आशीष सिंह के बीच के सीधे कांटेदार मुकाबले के इस चुनाव से जुड़े हर छोटे बड़े चुनावी कलाकारों के साथ-साथ उन लोगों की धड़कनें भी बढ़ी हुई है जिन्होंने चुनावी चूल्हे में पकने के लिए चढ़े सियासती व्यंजन की फैल रही महक को सूंघा भी है…. 

     चुनावी मठाधीशों ने खोल दिए हैं अपने पोथी पुरान

 3 दिसंबर की तारीख जो कि महज 11 दिन दूर है पर उसके इंतजार का एक-एक पल काटे नहीं कट रहा है.. ऐसे में कई चुनावी मठाधीशों ने स्वयंभू ज्योतिष ज्ञान के अपने चक्षुओं को खोलकर दावे प्रतिदावों की ऐसी पोथी पुरान खोल कर रखे हैं, मानो उन्होंने ईवीएम मशीन के अंदर से घुसकर ही मतदान के आंकड़े और प्रतिशत को निकाल कर तखतपुर विधानसभा की धरा में चौसर की बाजी पर शकुनि के पांसे की तरह बिखेर दिया है…😅 कई चुनावी जजंतरम ममंत्रम बैगाओ की माने तो उन्होंने तो जैसे ईवीएम से पहले ही क्षेत्र के मतदाताओं को गिन कर बैठ गए हैं.. फिलहाल तो ऐसे लोगों की भी अभी कोई कमी नहीं दिख रही है जिन्हे खुद के घर के वोट किसे पड़े हैं.. इसका ज्ञान नहीं और पूरे विधानसभा के आंकड़ों के दावे कर रहे हैं…😅

थोड़ा बहुत तो कोई दावा ही नहीं कर रहा है..

   अभी यह स्थिति हो गई है कि एक गली से निकले तो कांग्रेस 10000 से जीत रही है.. दूसरी गली ठीक से पहुंचे नहीं कि भाजपा 10000 से जीत जाती है…😅 नगर में ही जिन्होंने बड़े-बड़े दावे करके सियासी योद्धाओं के तिजोरियों से पोटलिया लेकर निकले हैं उनकी तो सबसे ज्यादा धुकुर पुकुर हो रही है.. कहीं पोटलियों का असर ईवीएम से बाहर नहीं निकला तब तो फिर जो कनबुच्ची लगेगी.. उसकी तो कई लोगों ने जहां रिहर्सल आरंभ कर दी है.. वही कुछ अपना दोष को दूसरे की मुड़ी में थोपने के लिए कारण और चेहरा तैयार कर लिया है…😅

धन के शोर के बाद अब धीरे-धीरे मतों की आवाज निकल रही है बाहर

   मतदान दिवस की सुबह से ही धनवर्षा का शोर इतना जमकर हुआ कि मतदाता ने मुखरता न दिखाकर खामोशी से मतदान किया और चुप्पी साध ली… मतदान के चार दिवस के बाद अब जहां धीरे-धीरे धन की खनक का स्वर मद्धिम हुआ है तो वैसे ही मतदान और मतों की पदचाप सुनाई देने लग पड़ी है… गांव-गांव से मतों की खामोशियों की चुप्पियां टूट कर एक संदेश स्वरूप बाहर निकल रही है… जिससे यह लग रहा है कि 3 दिसंबर के रविवार से किसी न किसी की राजनीति का आरंभिक रूप से तो अवकाश हो सकता है…

तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय…

तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में पहले यह माना जाता था कि जिस पक्ष का विधायक बनता है प्रदेश में उसकी सत्ता नहीं रहती और जिसकी सत्ता रहती है उसका विधायक नहीं रहता.. यह क्रम पिछले 15 वर्षों से निरंतर हैट्रिक के साथ टूटा रहा। जिसमें दो बार भाजपा ने प्रदेश सत्ता और सत्ता पक्ष का विधायक पाया तो कांग्रेस ने भी सरकार के साथ अपना विधायक पाया.. अब एक बार फिर से कयास लग रहे हैं कि जिस पक्ष का विधायक बने उस पक्ष की सरकार ना बने तो दोनों पक्ष के नेताओं की जय जयकार चलती है और आपसी प्रतिस्पर्धा में जनता जनार्दन के जहां सुख सुविधाओं में वृद्धि ही होती रहती है। वही दलीय आस्था विचारधारा से जुड़े राजनीति के छोटे और मंझोले कलाकारों की भी खासी पूछताछ बनी रहती है…
    अब देखना यह है कि तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के भविष्य की पतवार 3 दिसंबर को किन हाथों में जाएगी..
      तब तक के लिए नारायण नारायण…😊

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