दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम वफा करके भी तन्हा रह गए…
तखतपुर नगर पालिका चुनाव परिसीमन में वार्डों की संख्या नहीं बढ़ाए जाने से कइयों के चुनावी अरमान हुए चूर-चूर…
बृजपाल सिंह हूरा…✍️
तखतपुर। दिल के अरमां आंसुओं में बह गए, हम वफा करके भी तन्हा रह गए… यह गीत कल कई लोगों को उस वक्त गाना पड़ गया होगा जब उन्हें पता चला होगा कि तखतपुर नगर पालिका परिसीमन में वार्डों की संख्या नहीं बढ़ने वाली है और अंततः यह तय हो ही गया कि तखतपुर नगर पालिका में अब कुल 15 वार्ड ही बने रहेंगे। जिससे जबरदस्त खदबर्रो मचने और दलिदरी फैलने का चांस है…
कांग्रेस का बोझा भाजपा ने उठा लिया
पहले यह तस्वीर कांग्रेस खेमे में दिखती थी पर कांग्रेस की परेशानी को झऊआ टुकना में लादकर भाजपा ने इसे अपने सिर में उठा लिया है और निश्चित तौर पर वार्ड नहीं बढ़ने का सर्वाधिक दर्द और तकलीफ अब भाजपा खेमा में देखा जा सकता है क्योंकि उसके पास ऑलरेडी हर वार्ड में चॉइस के लायक दावेदार पहले से ही थे.. ऊपर से बोनस के रूप में कांग्रेस के धुरंधरो का जिस तरह से आयात भाजपा में भीड़ बढ़ाओ के तहत हुआ है, अब नि:संदेह उसका खामियाजा आने वाले नगर पालिका चुनाव में देखने को मिल सकता है…
2003 जोगी वाली स्थिति न बन जाएं…
निश्चित तौर पर कुछ वार्डों में तो दावेदारों की खींचातानी में भाजपा खेमे में सिर दर्द का माइग्रेन भी हो सकता है.. तब दंत निपोरी के अलावा दूसरा रास्ता तो रहेगा नही.. यह स्थिति ठीक उसी तरह निर्मित हो सकती है जब छत्तीसगढ़ बनने के बाद तात्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भाजपा के विधायकों को कांग्रेस में लाया था और उन सभी को कांग्रेस से टिकट दे दी गई थी.. जिसका खामियाजा यह हुआ कि उनमें से एक के छोड़कर सारे के सारे हार गए और इनकी वजह से 2003 में जोगी की बनती सरकार नहीं बन पाई थी…
सब की नजर कचरा साफ करने को
तखतपुर के 15 वार्डों में कुछ ना कुछ एरिया ऐसा होता है जो चुनावी नेताओं को हरगिज पसंद नहीं आता क्योंकि चुनाव के वक्त उन्हें इनसे भारी मशक्कत का सामना करना पड़ता है… ऐसे में प्राय: जनप्रतिनिधि यही चाह रहे हैं कि परिसीमन के दौरान उनका कुछ कचरा पड़ोसी मोहल्ले में चल जाए लेकिन अब वह पहले वाली शान शौकत और दादागिरी नहीं है क्योंकि अब चुनावी हारे जीते सभी नेता जागरूक हो गए हैं और परिसीमन के दौरान पूरी मुस्तैदी के साथ हर मोर्चे पर तैनात होकर डट जाने की तैयारी सब ने कर ली है… हर कोई अपने-अपने वार्ड को क्वॉरेंटाइन एरिया घोषित करते हुए पड़ोसी के कोरोनावायरस को रोकने के लिए मुस्तैद है…
सवाल आपसे..?
👉 वार्ड नहीं बढ़ पाने की खबर से सबसे ज्यादा झटका किस-किस चेहरे को लगा है…?
👉 परिसीमन आरक्षण के उपरांत कौन-कौन से चेहरे घर वापसी के लिए संपर्क सूत्र जोड़ने में लग गए है..?
अब देखना यह है कि 15 वार्डों के भीतर में ही नगर पालिका के होने वाले आगामी चुनाव में अपने दिल के अरमानों के बिखरे टुकड़ों को समेट कर कौन, कहां और कैसे खुद को एडजस्ट करेंगे..
तब तक के लिए नारायण नारायण….😊