तखतपुर की लगाम थामकर किसकी होगी नैया पार..


तखतपुर की लगाम थामकर किसकी होगी नैया पार..


बिल्ली रास्ता काट जाएगी या फिर हाथी चला जाएगा बाजार
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                     नारायण नारायण…😊
तखतपुर (बृजपाल & ललित) जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव त्यौहार महोत्सव का समय नजदीक आते जा रहा है .. वैसे-वैसे चुनावी फीवर का वायरल तेजी से फैलता जा रहा है और राजनीति से जुड़े लोगों के साथ-साथ आमजन भी अब इस वायरल की चपेट में आते जा रहे हैं और हर किसी ड्राइंग रूम, मार्केट, काउंटर, टेबल, ठेले से लेकर गालियों, चौक चौराहों तक बस अब एक ही चर्चा और एक ही विषय है कि तखतपुर विधानसभा क्षेत्र किसके पाले में जाएगा..? क्या तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में समीकरण बिगाड़ने के लिए बिल्ली रास्ता काट जाएगी या फिर लोगो की परवाह किए बिना ही हाथी बाजार से गुजर जाएगा….!
      कुछ जुबाने जहां कांग्रेस के पक्ष में खड़ी होती है तो वही कुछ विचार भाजपा के साथ आ खड़े होते हैं… पर इन सब से भी ज्यादा बड़ा सवाल जो है वह यह है कि आखिर वह कौन सा चेहरा होगा जो आगामी 5 साल के लिए तखतपुर विधानसभा क्षेत्र की लगाम को थाम कर तखतपुर क्षेत्र का नेतृत्व करेगा…?
        अब आपको क्या बताएं साहब कि तखतपुर की राजनीति के सामने दिल्ली की राजनीति भी फेल है… हमारे यहां तो राजनीति न करने वाली जगह पर भी राजनीति हो जाती है.. ऐसे तखतपुर विधानसभा क्षेत्र ने कभी भी किसी ऐरे गैरे नत्थू खैरे को अपना नेतृत्व नहीं सौंपा है। हमारे यहां दल का नहीं दिल का रिश्ता रखने वालों की भी कमी नहीं तभी तो देश की आजादी के बाद के 15 विधानसभा चुनाव में जहां 8 बार भाजपा का परचम लहराया तो 7 बार कांग्रेस ने भी अपना दम दिखाया है…. ऐसे में दलीय विचारधारा के साए में तखतपुर को नहीं बांधा जा सकता है तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर वह कौन सा चेहरा होगा जिस पर तखतपुर विधानसभा क्षेत्र की जान जाकर बसेगी…?
        कांग्रेस एवं भाजपा की टिकट डिक्लेअर होने में लगभग 8 से 10 दिनों का समय लगेगा। ऐसे में हर कोई अपने-अपने पसंदीदा चेहरों की उम्मीद के साए में एक-एक पल गिन गिन कर बीता रहा है।

कांग्रेस की वर्तमान विधायक श्रीमती रश्मि आशीष सिंह अपनी सक्रियता और विकासशील कार्यशैली को लेकर जहां पूरी तरह आश्वस्त रहते हुए एक बार फिर से नेतृत्व की बागडोर संभालने के लिए तैयार खड़ी हुई है।

वही पौने 5 साल पहले जोगी कांग्रेस छोड़कर कांग्रेस में आए संतोष कौशिक का मजबूत आधार इसी स्तंभ पर टिका हुआ है कि वह जोगी कांग्रेस (लगभग निर्दलीय) के प्रत्याशी बनकर तखतपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र के इतिहास में सर्वाधिक वोट प्राप्त करने के द्वितीय स्थान पर काबिज है, यही उनका प्रमुख आधार है।

पूर्व विधायक जगजीत सिंह मक्कड़ अपने पुराने कार्य कौशल और सक्रियता के आधार पर कांग्रेस से दावेदार बनने के पक्ष में है…

तो गुप्त प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत सभापति जितेंद्र पांडेय का भी अपना दावा बना हुआ है।

   

वही अब भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पिछला विधानसभा चुनाव हार कर भी लगभग पूरे 5 वर्षों तक पार्टी को जीवित रखते हुए हरा-भरा कर रखे रहने वाली हर्षिता पांडेय की स्वाभाविक दावेदारी बनी ही हुई थी कि

इसी बीच लोरमी विधायक की भाजपा में एंट्री हुई और संभावित सूची में उन्हें तखतपुर का भाजपा प्रत्याशी में शामिल कर दिया गया। बहुत बड़ा चेहरा और प्रदेश स्तरीय नेता होने के कारण तखतपुर विधानसभा क्षेत्र अचानक से लाइमलाइट में आ गया।

2008 से साइलेंट दावेदारी कर रहे डॉक्टर प्रमोद तिवारी की दावेदारी में जहां जनसंघ अवतार का अदृश्य चेहरा दिखता है.. वहीं वर्तमान में उनके पुत्र  निलय तिवारी युवा लोकप्रिय के साथ तेजी से आगे आए हैं।

सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए दिनेश राजपूत तखतपुर भाजपा राजनीति में धूमकेतु की तरह छा गए..

इसी क्रम में रामचंद्र यादव, नूरीता प्रदीप कौशिक, धनंजय सिंह क्षत्रिय जैसे अन्य कई और भी सितारे हैं जो भाजपा राजनीति में टिमटिमाते हुए अपनी पहचान स्थापित किए हुए।

इन सब के बीच वर्तमान में दिख रहे तीसरे मोर्चे चुपचाप झाड़ू छाप आम आदमी पार्टी को भी पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। फिलहाल तो पार्टी के बहुत ही ऊर्जावान युवा सक्रिय नेता ज्ञानेंद्र देवांगन ही इस पार्टी का चेहरा प्रमुख बने हुए हैं। पर कुछ लोगों को उम्मीद है कि भाजपा कांग्रेस के टिकट से निराश लोग अंत में झाड़ू उठाकर तखतपुर से कांग्रेस बीजेपी की सफाई में कहीं जुट ना जाए….

        तब तक के लिए नारायण नारायण😊
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